अप्लास्टिक एनीमिया क्या होता है और क्यों ये कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक है?

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<p style="text-align: justify;">कैंसर के बारे में कौन नहीं जानता. कैंसर बेहद घातक और जानलेवा बीमारी है. कैंसर कई प्रकार का होता है, जिसे अलग अलग नामों से जाना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कैंसर से भी घातक कई बीमारियां होती हैं, जिनका पता या तो देरी से चलता है या फिर इंसान की मौत हो जाती है. ऐसे में हम आपको ऐसी ही एक गंभीर बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">जिसे मेडिकल की भाषा में अप्लास्टिक एनिमिया के नाम से जाना जाता है. यह बीमारी कई मामलों में कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक होती है और लापरवाही करने पर जानलेवा भी साबित हो सकती है. आमतौर पर यह छोटे बच्चों से लेकर 25 साल तक के युवाओं को हो सकती है या फिर बुजुर्गों में भी यह बीमारी पैदा हो सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है अप्लास्टिक एनिमिया</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अप्लास्टिक एनिमिया एक दुर्लभ और गंभीर समस्या है जिसमें बोन मैरो की वे कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं जो आगे चलकर परिपक्व बनने वाली होती हैं. इसके कारण लाल रक्त कोशिका (RBC) सफेद रक्त कोशिका (RBC) और प्लेटलेट्स की संख्या शरीर में लगातार घटने लगती हैं. शरीर में रक्त कोशिकाओं की कमी होने के कारण शरीर में अंदरूनी रक्त रिसाव हो सकता है जो किसी भी ऑर्गन जैसे दिल, गुर्दा, लीवर आदि के फेलियर का कारण बन सकता है. शरीर में रक्त कोशिकाओं की कमी से इंसान की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा कमजोर हो जाती है और शरीर बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या होता है बोन मैरो</strong></p>
<p style="text-align: justify;">बोन मैरो दरअसल हमारे शरीर की हड्डियों में पाया जाने वाला एक पदार्थ है जो हड्डियों के बीच टनल में पाया जाता है. यही वो जगह होती है जहां शरीर में खून का निर्माण होता है. बोन मैरो को अस्थिमज्जा भी कहा जाता है. अस्थिमज्जा के खराब होने के कारण ही अप्लास्टिक एनिमिया जन्म लेता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>किन कारणों से होता है अप्लास्टिक एनिमिया</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अप्लास्टिक एनिमिया किन कारणों से होता है विशेषज्ञ उन सभी कारणों को नहीं जानते हैं. लेकिन कुछ रिसर्च की मानें तो मेडिकल कंडिशन्स, विरासत में मिली स्थितियां, जटिल चिकित्सा उपचार और एलोपेथ के अधिक सेवन से ये बीमारी हो सकती है. आमतौर पर यह तब होता है जब हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर के अस्थिमज्जा पर हमला करती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>लक्षण</strong></p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">बार बार संक्रमण होना</li>
<li style="text-align: justify;">हल्का काम करने पर भी जल्दी से थकान हो जाना</li>
<li style="text-align: justify;">सांस लेने में तकलीफ होना</li>
<li style="text-align: justify;">स्कीन पीला पड़ना और त्वचा पर लाल चकत्ते हो जाना</li>
<li style="text-align: justify;">चक्कर आना</li>
<li style="text-align: justify;">सिर दर्द होना</li>
<li style="text-align: justify;">बार-बार बुखार आना</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>उपचार</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अप्लास्टिक एनिमिया का उपचार कई तरह से संभव है, जिसमें बोन मैरो, उत्तेजक दवाएं, अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण जिसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है. इसके उपचार में एंटीथाइमोसाइट ग्लोब्युलिन इंजेक्शन, साइक्लोस्पोरिन जैसी दवाएं शामिल हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमले को रोकने में मदद करती है. हालांकि कुछ मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस बीमारी का पूर्ण रुप से इलाज केवल बोन मैरो ट्रांसप्लांट से ही संभव है. बीमारी का पता लगते ही डॉक्टर्स बोन मैरो प्रत्यारोपण की तैयारी शुरू कर देते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>उपचार में जटिलताएं</strong></p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">ग्राफ्ट बनाम होस्ट जो कि एलोजेनिक ट्रांसप्लांट के वक्त सामने आ सकता है</li>
<li style="text-align: justify;">प्रतिरक्षादमनकारी दवाओं के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है जिससे मौत भी हो सकती है</li>
<li style="text-align: justify;">कीमो के दौरान इम्यूनिटी कमजोर हो जाने से ऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ जाता है</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>रोकथाम</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अप्लास्टिक एनिमिया को रोकने का कोई ज्ञात तरीका अभी तक प्रमाणित नहीं है.</p>
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