Jatin Dalal Case: आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो (Wipro) ने 2023 में अपने शीर्ष नेतृत्व के कई अधिकारियों की दूसरी कंपनियों के हाथ गंवा दिया. यही हाल इंफोसिस का भी रहा. कंपनी ने कॉग्निजेंट के हाथों अपने कई उच्च अधिकारी गंवा दिए. इसके बाद दोनों कंपनियों ने अपने पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की. विप्रो ने पूर्व सीएफओ जतिन दलाल (Jatin Dalal) और पूर्व एसवीपी मोहम्मद हक (Mohd Haque) के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. विप्रो ने दलाल से 25.15 करोड़ रुपये हर्जाना और 18 फीसदी सालाना ब्याज की मांग की है. कंपनी के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर संजीव सिंह और पूर्व आइडियाज (iDEAS) बिजनेस हेड राजन कोहली भी नौकरी छोड़कर सीएमएस आईटी सर्विसेज (CMS IT Services) और सिटियसटेक (CitiusTech) जैसी कंपनियों के सीईओ बन गए हैं.
विप्रो छोड़कर इन 10 कंपनियों में नहीं जा सकते कर्मचारी
मनीकंट्रोल को दलाल के खिलाफ विप्रो की मुकदमे की कॉपी हासिल हुई है. इसके मुताबिक, विप्रो ने 10 प्रमुख आईटी कंपनियों की एक लिस्ट बनाई है. इन्हें विप्रो का सीधा प्रतिद्वंदी माना गया है. विप्रो छोड़ने के बाद 12 महीने तक इन कंपनियों में कर्मचारी नौकरी ज्वाइन नहीं कर सकते. इनमें एक्सेंचर, कैपजेमिनी, कॉग्निजेंट, डेलॉइट, डीएक्ससी (पूर्व में एचपी), एचसीएल टेक, आईबीएम, इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और टेक महिंद्रा शामिल हैं.
जतिन दलाल के पास गोपनीय जानकारियां
विप्रो के अनुसार, नॉन कंपीट क्लॉज के हिसाब से जतिन दलाल के पास भी इन कंपनियों के नाम थे. फिर भी उनका इनमें से एक कंपनी में शामिल होना चिंता का विषय है. इतने बड़े पद पर काम करने वाले कर्मचारी के पास कंपनी की पॉलिसी और बिजनेस के बारे में गोपनीय जानकारियां होती हैं.
पूर्व सीएफओ पर नॉन कंपीट क्लॉज के उल्लंघन का आरोप
विप्रो ने जतिन दलाल के खिलाफ किए गए केस को मध्यस्थता में भेजे जाने का विरोध किया है. कंपनी ने कहा कि उन्होंने नॉन कंपीट क्लॉज का उल्लंघन किया है. इसलिए मामला अदालत में सुनना चाहिए. हालांकि, अदालत ने यह मामला मध्यस्थता में भेज दिया है. दलाल विप्रो के अधिग्रहणों, पॉलिसी और 100 मिलियन डॉलर की बड़ी डील्स में शामिल रहे थे. वह विप्रो वेंचर्स के 300 मिलियन डॉलर के फंड की निवेश समिति में भी थे. यह स्टार्टअप में निवेश करता है. उनके काम की आखिरी तारीख 30 नवंबर 2023 थी.
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