[ad_1] आनंद रामायण, राज्यकाण्डम् (उत्तरार्द्धम्) सर्ग क्रमांक 24 के अनुसार, एक बार भगवान राम अपनी सभा…
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त्याग और भ्रातः प्रेम की मूर्ती हैं रामायण के ‘भरत’, भरत का एक ही मंत्र था मेरे तो राम दूसरा न कोई..
[ad_1] <p style="text-align: justify;">हम सबने लक्ष्मण जी के भ्रातः (भाई) प्रेम पर बहुत कहानियां सुनी हैं…