Shardiya Navratri 2023 Maa Skandmata: मां दुर्गा का पांचवा स्वरू स्कंदमाता हैं. ये स्वंय कार्तिकेय की माता है और कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है इसलिए इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं.
सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण स्कंदमाता के चारों ओर तेज दिखता है. 19 अक्टूबर 2023 को शारदीय नवरात्रि के 5वें दिन मां स्कंदमाता की उपासना की जाएगी. जानें मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मुहूर्त, भोग और मंत्र
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 19 अक्टूबर 2023 मां स्कंदमाता की पूजा के लिए सुबह 06.24 से सुबह 07.29 तक मुहूर्त है. वहीं इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11.43 से दोपहर 12.29 तक रहेगा.
मां स्कंदमाता की पूजा विधि (Maa Skandmata Puja vidhi)
देवी स्कंदमाता की पूजा के लिए पूजा स्थल जहां पर कलश स्थापना की हुई है, वहां पर मां दुर्गा के समक्ष स्कंदमाता का ध्यान करें. देवी को केले का भोग (Maa skandmata bhog) लगाएं. इससे बुद्धि में वृद्धि होती है. समस्त पूजा सामग्री चढ़ाए हुए ऊं स्कंदमात्रै नम: मंत्र का जाप करें, इस मंत्र के जाप से संतान सुख प्राप्त होता है. उपासक तेज और कांतिमय हो जाता है. अंत में देवी स्कंदमाता की आरती करें. मां स्कंदमाता की पूजा में पीले रंग (Maa skandamata Color) का इस्तेमाल करें.
मां स्कंदमाता मंत्र (Maa Skandmata Mantra)
- ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
- या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत निराला है. इनकी चार भुजाएं हैं. इनकी दो भुजाओं में कमल के फूल हैं. एक भुजा ऊपर को उठी हुई है. जिससे भक्तों को आशीर्वाद प्रदान कर रहीं हैं. एक हाथ से पुत्र स्कंद को गोद में लिए हुए है. ये कमल के आसन पर भी विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. सिंह भी इनका वाहन है.
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