MRF का लखटकिया स्टॉक खरीदना होगा आसान, टुकड़ों में महंगा स्टॉक खरीदने की मिल सकती है सुविधा

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Fractional Ownership Of Stocks: देश की दिग्गज टायर कंपनी एमआरएफ का शेयर, स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड कर रहा एक मात्र लखटकिया स्टाक है. तो पेज इंडस्ट्रीज का एक स्टॉक भी 40,000 रुपये और नेस्ले का शेयर 23000 रुपये के करीब ट्रेड कर रहा है. इन महंगे शेयरों के ऊंचे रेट होने के चलते छोटे रिटेल निवेशक इन शेयरों में निवेश से कतराते हैं क्योंकि उनका बजट इसकी इजाजत नहीं देता है. लेकिन आने वाले दिनों में छोटे निवेशक एमआरएफ और पेज इंडस्ट्रीज के शेयरों में आसानी से निवेश कर सकेंगे. शेयर बाजार का रेग्यूलेटर सेबी फ्रैक्शनल ऑनरशिप के कॉसेप्ट को भारतीय बाजारों में लागू करने पर विचार कर रहा है जिसके चलते ये संभव हो सकेगा. 

क्या है फ्रैक्शनल ऑनरशिप

फ्रैक्शनल ऑनरशिप के तहत निवेशक किसी भी कंपनी के एक शेयर का कुछ हिस्सा खरीद सकेगा. उदाहरण के लिए मान लिजिए एमआरएफ का स्टॉक 107204 लाख रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है. तो निवेशक शेयर का 25 फीसदी हिस्सा खरीद सकेगा जिसके लिए उसे 27,000 रुपये का भुगतान करना होगा. ठीक इसी प्रकार यदि कोई निवेशक पेज इंडस्ट्रीज का शेयर का हिस्सा खरीदना चाहता है जो 40,000 रुपये के करीब कारोबार कर रहा है. तो निवेशक को उस शेयर के 25 फीसदी हिस्से को खरीदने के लिए केवल 10,000 रुपये का भुगतान करना होगा. जिसकी बदौलत उसके पोर्टफोलियो में पेज इंडस्ट्रीज का स्टॉक भी होगा. 

क्यों फ्रैक्शनल ऑनरशिप की है दरकार

मान लिजिए किसी निवेशक के पास केवल 10,000 रुपये है और वो पेज इंडस्ट्रीज का स्टॉक खरीदना चाहता है तो स्टॉक के फ्रैक्शनल ऑनरशिप के जरिए केवल 10,000 रुपये के निवेश कर पेज इंडस्ट्रीज के एक शेयर का 25 फीसदी हिस्सा वो खरीद सकेगा. अगर किसी निवेशक के पास 10,000 रुपये है और वो मारुति सुजुकी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा इलेक्सी और टाइटन का शेयर खरीदना चाहता है तो वो इन सभी कंपनियों का शेयर नहीं खरीद सकेगा. लेकिन फ्रैक्शनल ऑनरशिप के जरिए वो इन सभी कंपनियों के एक शेयर का कुछ हिस्सा खरीद सकेगा. 

अमेरिका में है ये सुविधा उपलब्ध 

अमेरिका में कुछ प्लेटफॉर्म्स पर पहले से फ्रैक्शनल ऑनरशिप की सुविधा उपलब्ध है. वहां निवेशक कम पैसे होने के बावजूद एप्पल, यूनाइटेड हेल्थ, माइक्रोसॉफ्ट और वीजा जैसे कंपनियों के स्टॉक में निवेश कर सकते हैं. 

स्टॉक स्प्लिट की नहीं पड़ेगी जरूरत 

कई कंपनियां इसलिए अपने स्टॉक को स्प्लिट या विभाजित करती हैं क्योंकि वो बेहद महंगे हो चुके होते हैं और छोटे निवेशकों के लिए अनअफोर्डेबल हो जाती हैं. हाल ही में मारुति सुजुकी की मैनेजमेंट से कई निवेशकों ने स्टॉक को स्प्लिट करने की मांग की है. मारुति का स्टॉक 10375 रुपये पर कारोबार कर रहा है और हर निवेशक मारुति की गाड़ी खरीदने के समान उसका स्टॉक भी लेना चाहता है लेकिन ऊंची कीमत होने के चलते ले नहीं पाता. फ्रैक्शनल ऑनरशिप अगर लागू हो गया तो कंपनियों को स्टॉक को स्प्लिट करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. और रिटेल निवेशक आसानी से इन शेयरों को खरीद सकेंगे. मौजूदा समय में स्टॉक एक्सचेंज पर 17 ऐसी कंपनियां हैं जिनका भाव 10,000 रुपये प्रति शेयर से ज्यादा है तो 300 कंपनियों के स्टॉक ऐसे हैं जो 1,000 रुपये के ऊपर कारोबार कर रहे हैं.  

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