FPI: एफपीआई से बरसा पैसा, 13 हजार करोड़ आए, आगे मुश्किल के आसार

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<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><strong>FPI in India:</strong> फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) ने भारत पर जमकर पैसा बरसाया है. अप्रैल के शुरुआती 12 दिनों में एफपीआई के जरिए 13,347 करोड़ रुपये आ चुके हैं. यह निवेश इंडियन इक्विटी में हुआ है. इसके साथ ही साल 2024 में अब तक देश में एफपीआई के जरिए 24,240 करोड़ रुपये आए हैं. फरवरी और मार्च में की गई खरीदारी के बाद अब अप्रैल में भी यही ट्रेंड दिखाई दे रहा है.&nbsp;</span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>एफपीआई द्वारा की गई बिकवाली से गिरा था शेयर बाजार&nbsp;</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में लगभग 1539 करोड़ रुपये और मार्च में 35,098 करोड़ रुपये की खरीदारी एफपीआई ने की थी. जनवरी में एफपीआई ने 25,744 करोड़ रुपये की इक्विटी बिक्री की थी. भारत के शेयर बाजारों में शुक्रवार को बड़ी गिरावट आई थी. इसकी वजह विदेशी निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली को बताया गया था. यह भारी बिकवाली इस वजह से की गई थी क्योंकि मॉरीशस से आने वाले निवेश पर अब ज्यादा जांच पड़ताल की जाएगी. बीएसई का सेंसेक्स (BSE Sensex) 793.25 प्वॉइंट गिरकर 74,244.90 पर बंद हुआ था. एनएसई के निफ्टी (NSE Nifty) में भी 234.40 प्वॉइंट की गिरावट दर्ज की गई और यह 22,519.40 अंकों पर बंद हुआ था.&nbsp;</span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>इंडिया-मॉरीशस टैक्स समझौते का आगे दिखेगा असर&nbsp;</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">जिओजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजय कुमार ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि इंडिया और मॉरीशस के बीच हुए टैक्स समझौते के चलते शुक्रवार को एफपीआई ने 8,027 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. यह समझौता आने वाले समय में भी एफपीआई निवेश पर असर डालता रहेगा. इसके अलावा मिडिल ईस्ट में चल रहे तनाव और इजराइल एवं ईरान के बीच संभावित युद्ध के खतरों से भी एफपीआई पर बुरा असर पड़ सकता है. आने वाले दिन एफपीआई के लिए कठिन हो सकते हैं.</span></p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>एफपीआई गए तो डीआईआई से हो जाएगी भरपाई&nbsp;</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर एफपीआई पैसा निकालते भी हैं तो डॉमेस्टिक इंस्टीटूशनल इनवेस्टर्स (DII) उसकी भरपाई कर सकते हैं. डीआईआई को नगदी की कोई समस्या नहीं है. रिटेल और हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNI) भी भारतीय मार्केट की तरक्की को लेकर आशान्वित हैं. इसलिए एफपीआई की बिक्री का ज्यादा असर नहीं दिखाई देगा.</span></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.</strong></p>
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