COVID के कारण भारतीयों में बढ़ी गंभीर फेफड़े की बीमारी, आंकड़े दूसरे देशों से काफी ज्यादा: STUDY

[ad_1]

कोविड महामारी (Covid-19) को कौन भूल सकता है. लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि भले ही कोविड के मामले पहले से कम हो गए हैं लेकिन आज भी लोगों पर इसका असर कम नहीं हुआ है. हाल ही में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा पब्लिश एक रिसर्च में कोविड को लेकर एक हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है. इस रिसर्च के मुताबिक कोविड से ठीक होने के बाद भी ज्यादातर इंडियन को फेफड़े से जुड़ी बीमारी हो रही है. इस स्टडी में यह पाया गया कि यह आंकड़े यूरोपियन और चाइनीज लोगों की तुलना में काफी ज्यादा है. कोविड के कारण इंडियन के लंग के फंक्शन को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. 

स्टडी से क्या पता चला?

इस रिसर्च में यह भी खुलासा किया गया है कि  SARS-CoV-2 के कारण लंग्स पर काफी ज्यादा खतरनाक असर पड़ा है. यह स्टडी 207 व्यक्तियों पर की गई है. यह स्टडी महामारी के पहले लहर के दौरान किया गया था.यह PLOS ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में पब्लिश भी हुआ है. कोविड से ठीक होने के बाद भी रिसर्च में शामिल लोगों के के लंग का कंप्लीट लंग फंक्शन टेस्ट, छह मिनट का चलने का परीक्षण, ब्लड टेस्ट और लाइफस्टाइल का पूरा लेखा-जोखा रखा गया है. 

सेंसिटिल लंग फंक्शन टेस्ट, जिसे गैस ट्रांसफर (DLCO) कहते हैं. यह हवा से सांस लेने को रक्तप्रवाह में ऑक्सीजन कितनी देर में लेते हैं उसे मापने का काम करता है. यह 44 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ है. जिसे CMC डॉक्टरों ने “बहुत चिंताजनक” बताया. 35% लोगों में रेस्ट्रिक्टिव लंग डिफेक्ट पाया गया. यह सांस लेने और फेफड़ों में हवा फुलाने में काफी ज्यादा प्रभावित किया है. इस स्टडी में क्वालिटी ऑफ लाइफ टेस्ट पर में भी नेगेटिव इम्पैक्ट देखा गया.

दूसरे देशों के मुकाबले क्यों है ज्यादा भारतीय प्रभावित

सीएमसी, वेल्लोर के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और इस स्टडी के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉ. डीजे क्रिस्टोफर (Dr. DJ Christopher) टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में बताया कि इंडियन मरीजों की हालत दूसरे देशों के मरीजों के मुकाबले काफी ज्यादा खराब है. इनकी तुलना हम यूरोपियन और चीन के लोगों से करें तो यह आंकड़े बेहद खराब है. भारतीयों में डायबिटीज और बीपी की परेशानी दूसरे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है. 

नानावटी अस्पताल में हेड ऑफ पल्मोनोलॉजी, डॉ सलिल बेंद्रे (Dr. Salil Bendre) ने TOI से खास बातचीत में बताया कि गंभीर स्थिति में भर्ती होने के बाद ऑक्सीजन सपोर्ट और स्टेरॉयड ट्रीटमेंट के बाद मरीज ठीक हो जाता है. लेकिन अगर इंफेक्शन बढ़ जाए तो यह बीमारी 95 प्रतिशत तक फेफड़े को नुकसान पहुंचा देती है. जिसके कारण 4-5 प्रतिशत तक यह कमजोर हो जाते हैं. 

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *