Bima Sugam: बीमा सुगम के लिए IRDAI के ड्राफ्ट नियम जारी, बिना खर्च के ले सकेंगे इंश्योरेंस और बीमा सर्विसेज

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Bima Sugam: देश में बीमा सुगम के तौर पर आईआरडीएआई के जिस इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था, उसके पूरा होने के आसार नजर आ रहे हैं. दरअसल इंश्योरेंस रेगुलेटर भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस ‘बीमा सुगम’ या डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक एक्सपोजर ड्राफ्ट जारी कर दिया है. इसे एक वन-स्टॉप सॉल्यूशन या प्रोटोकॉल के रूप में माना जा सकता है जिस पर इंश्योरेंस पॉलिसी की खरीद, बिक्री, सर्विसिंग और क्लेम सेटलमेंट से लेकर शिकायतों तक का निपटारा किया जा सकता है.  

इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस पर मिलेंगी यूनिवर्सल सर्विसेज

आपकी बीमा पॉलिसियों से जुड़ी ज्यादातर सभी सर्विसेज की एक सीरीज इस ‘बीमा सुगम’ नाम के इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस पर मिल जाएंगी. ये भारत में बीमा के लिए यूनिवर्सल यानी एक जैसे नियम, सुविधाएं और ग्रीव्येंसेज रीड्रेसेल मुहैया कराएगा. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने मंगलवार को पॉलिसीहोल्डर्स, इंश्योरर्स और मध्यस्थों को एक आम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने के ड्राफ्ट नियम जारी कर दिए हैं. ये लंबे समय से पेंडिंग योजना थी.

क्या होगी बीमा सुगम की खासियत

  • यह ऑनलाइन मार्केटप्लेस होगा जहां लाइफ, हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस पॉलिसी की परचेज और सेल्स के साथ-साथ पॉलिसी सर्विसिंग, क्लेम सेटलमेंट और शिकायत निवारण जैसी सर्विसेज फ्री मिलेंगी.
  • इस प्लेटफॉर्म तक पहुंचने के लिए ग्राहकों को कोई चार्ज नहीं देना होगा.
  • इससे इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स और सर्विसेज तक उपलब्धता और पहुंच बढ़ने से भारत में बीमा पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी.
  • IRDAI का मानना ​​है कि बीमा सुगम, जो लगभग दो सालों से काम कर रहा है, पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करेगा.

IRDAI का बीमा सुगम की कंपनी को लेकर क्या है आदेश

कंपनी एक्ट 2013 के तहत बनाई गई बीमा सुगम-बीमा इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस एक नॉन-प्रॉफिट यूनिट होगी. कंपनी हर समय आसानी से अवेलेबल रहेगी और किसी भी डेटा को कलेक्ट नहीं करेगी. कंपनी के बोर्ड के पास रेवेन्यू मॉडल पर एक पॉलिसी भी है जो आत्मनिर्भर है. कंपनी की शेयरहोल्डिंग व्यापक रूप से लाइफ-जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस के इंश्योरर्स के बीच होगी और किसी एक यूनिट के पास कंट्रोलिंग स्टेक या हिस्सेदारी नहीं होगी. जरूरत पड़ने पर शेयरहोल्डर्स कैपिटल यानी पूंजी में योगदान देंगे.

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