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Inflation Affects Rural Demand: जुलाई से सितंबर के बीच खाद्य महंगाई आसमान पर जा पहुंची थी. तो इस मानसून सीजन में देश के कई राज्यों में असमान बारिश भी देखने को मिली. इन दोनों कारणों से ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी कंपनियों के जुलाई सितंबर तिमाही बेहद कठिन रहा है. इस तिमाही में उपभोक्ता मांग में कमी और ग्रामीण खपत में गिरावट के चलते रोजमर्रा के उपभोग के सामानों के सेल्स में सुस्ती देखने को मिली है.
देश की दिग्गज एफएमसीजी कंपनियों ने जुलाई से सितंबर महीने में कहा कि असमान बारिश, फसल उत्पादन के प्रभाव के साथ गेहूं, मैदा, चीनी, आलू, कॉफी, जैसी वस्तुओं बढ़ती कीमतों का असर देखने को मिला है. ग्रामीण मांग सुस्त होने के चलते एफएमसीजी इंडस्ट्री के लिए बेहद कठिन माहौल बना हुआ है. पहली तिमाही अप्रैल-जून के दौरान जो कुछ सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे थे, वो महंगाई बढ़ने और असमान बारिश के बाद बदल गए.
आईटीसी ने कहा कि, ‘‘ सामान्य से कम मानसून और खाद्य महंगाई के कारण उपभोक्ताओं की ओर उपभोग की मांग खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में कम रही है. एफएमसीजी कंपनियों का ई-कॉमर्स का प्रदर्शन शानदार रहा है. पर इन कंपनियों को छोटी लोकल कंपनियों से जोरदार चुनौती मिल रही है. स्थानीय लोकल छोटी कंपनियां चाय और डिटर्जेंट जैसे बड़े बाजारों के उत्पादों में दिग्गज कंपनियों को चुनौती पेश कर रही हैं.
दिग्गज एफएमसीजी कंपनी एचयूएल ने दूसरी तिमाही में स्थानीय कंपनियों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा और ग्रामीण बाजार में गिरावट के कारण बड़े पैमाने पर बाजार हिस्सेदारी में कमी दर्ज की है. सितंबर तिमाही में एचयूएल की बिक्री जिसमें लक्स, रिन, पॉन्ड्स, डव और लाइफबॉय जैसे ब्रांड की सेल्स ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो साल की तुलना में एक फीसदी कम रही है. जबकि शहरी क्षेत्रों में सेल्स में तीन फीसदी बढ़ी है.
एचयूएल के सीईओ रोहित जावा ने कहा कि कमोडिटी की कीमतों में नरमी के बाद उत्पादन लागत में कमी के साथ बाजार में स्थानीय कंपनियों की संख्या में वृद्धि हुई है. एनालिस्टों का भी मानना है कि उच्च महंगाई से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग पर असर पड़ा है. एफएमसीजी कंपनियों के सेल्स में एक-तिहाई से अधिक का योगदान ग्रामीण इलाकों का रहता है. हालांकि कंपनियों को उम्मीद है कि आने वाले चुनावी सीजन, सितंबर में बेहतर बारिश, खुदरा महंगाई दर में कम से मांग में सुधार देखने को मिल सकता है.
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