श्रीकृष्ण की छवि से मिलती है सीख, जानिए कृष्ण के स्वरूप और इसका महत्व

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Janmashtami 2023: इस बार 06 और 07 सितंबर को देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से पृथ्वी पर जन्म लिया था.

यही कारण है कि हर साल इस दिन भक्त श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं. श्रीकृष्ण का जीवन अद्भुत और अलौकिक रहा. उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है.

कृष्ण की लीलाएं, गाधाएं और स्वरूप भी अद्भुत हैं. श्रीकृष्ण की छवि जब हमारे मन में आती है तो सुंदर सांवला रूप, माथे पर मोरपंख, हाथ में बांसुरी और पीतांबर धारण किए कान्हा नजर आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, भगवान कृष्ण का स्वरूप केवल दिखने में मोहक नहीं है, बल्कि इनसे हमें जीवन में सीख भी मिलती है. वास्तव में श्रीकृष्ण का मनोहर रूप हमें सफल जीवन जीना सीखाता है. लेकिन इसे जानने के लिए आपको श्रीकृष्ण के स्वरूप को गहराई से समझने की जरूरत है.

श्रीकृष्ण की छवि से मिलने वाली प्रेरणा

  • मोरपंख : मां यशोदा श्रीकृष्ण के सिर पर हमेशा मोर मुकुट पहनाया करती थीं. कृष्ण का मोरमुकुट हमें यह संदेश देता है कि, जीवन में भी मोरपंख की तरह कई तरह के रंग हैं. सुख, दुख, सफलता,असफलता ही जीवन के कई रंग हैं. क्योंकि इन्हीं रंगों से मिलकर जीवन बना है. इसलिए जीवन के रंग से आपको जो कुछ भी प्राप्त हो इसे अपने माथे से लगाकर अंगीकार करें.
  • बांसुरी: भगवान श्रीकृष्ण के हाथों में बांसुरी होती है. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण बहुत अच्छा बांसुरी बजाते थे. श्रीकृष्ण की बांसुरी यह संदेश देती है कि, जीवन में कैसी भी घड़ी आए लेकिन घबराना नहीं चाहिए बल्कि. क्योंकि भीतर में शांति हो तो जीवन सफल होता है.
  • वैजयंती माला: भगवान कृष्ण गले में वैजयंती माला पहनते थे, जोकि कमल के बीजों से बनती है. इसके दो अर्थ हैं, पहला ये कि कमल के बीच सख्त होते हैं और सख्त होने की वजह से ये आसानी टूटते नहीं, सड़ते नहीं व चमकदार बने रहते हैं. यह इस बात की सीख देते हैं कि, जीवन में सख्त होना भी जरूरी है. दूसरा अर्थ यह है कि, बीज की मंजिल भूमि होती है, जोकि हमें जमीन से जुड़कर रहने की सीख देती है.
  • पीतांबर: भगवान श्रीकृष्ण पीतांबर धारण किए होते हैं. पीला रंग संपन्नता का प्रतीक है. पीतांबर इस बात का संदेश है कि, पुरुषार्थ ऐसा करो कि संपन्नता स्वंय तुम्हारे पास चलकर आए.
  • कमरबंद: पीतांबर को ही भगवान ने कमरबंद भी बनाया है, जोकि इस बात का संदेश देता है कि, हमें हमेशा चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए. जब भी धर्म के पक्ष में कोई कर्म करना पड़े तो हमेशा तैयार रहें. 
  • मां यशोदा और राधा: भगवान श्रीकृष्ण की बाल्यवस्था की छवि में माता यशोदा उनके संग दिखाई देती है. वहीं अन्य छवियों में कृष्ण संग राधा भी है. कृष्ण की छवि में माता यशोदा या राधा के संग होने का अर्थ यह है, जीवन में स्त्रियों का महत्व होता है, जिसके बिना हर पुरुष अधूरा है. इसलिए उन्हें पूर्ण सम्मान दें और इस बात का भी ध्यान रखें कि स्त्री हमारी बराबरी में रहें, हमसे नीचे नहीं. 
  • सुदर्शन चक्र: भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र को बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है, जिसक तुलना अस्तित्व से की जाती है. यानी व्यक्ति का अस्तित्व ही उसके लिए सुदर्शन है. लोग आपके व्यक्तित्व को देखकर ही व्यवहार करते हैं. यही सुदर्शन की वजह से आपकी हर जगह जीत तय है.
  • गाय: भगवान श्री कृष्ण के साथ हमेशा गाय होती है. कहा जाता है कि, भगवान को गाय-बछड़े बहुत प्रिय थे और वो इनके संग खेला करते थे. श्रीकृष्ण कहते हैं- गायो में मैं कामधेनू हूं, जो वास्तविक रूप में सारी इच्छा परिपूर्ण करती है. संसार में पृथ्वी और गो सेवा से बड़ा कोई उदार और क्षमादान देने वाला नहीं.

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