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<p>अन्य देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने के मामले में भारत को चालू वित्त वर्ष के दौरान झटका लगा है. जून में समाप्त हुई पहली तिमाही के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई में ठीक-ठाक गिरावट देखने को मिली है. राहत की बात ये है कि तिमाही के अंतिम महीने यानी जून में ट्रेंड में सुधार होता दिखा है.</p>
<h3>साल भर पहले का ऐसा था आंकड़ा</h3>
<p>एक दिन पहले सरकार ने एफडीआई के आधिकारिक आंकड़ों की जानकारी दी. उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग यानी डीपीआईआईटी ने आधिकारिक आंकड़ों में बताया कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में एफडीआई में 34 फीसदी की गिरावट आई और यह कम होकर 10.94 बिलियन डॉलर रह गया. साल भर पहले की समान अवधि यानी अप्रैल-जून 2022 के दौरान भारत को एफडीआई से 16.59 बिलियन डॉलर मिले थे.</p>
<h3>इस तरह एफडीआई में आई कमी</h3>
<p>चालू वित्त वर्ष की बात करें तो एफडीआई के मामले में शुरुआत से ही निराशा हाथ लगी है. वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल 2023 के दौरान एफडीआई का आंकड़ा 5.1 बिलियन डॉलर रहा, जो अप्रैल 2022 में 6.46 बिलियन डॉलर रहा था. मई महीने के दौरान तो एफडीआई में भारी गिरावट दर्ज की गई, जब एफडीआई साल भर पहले के 6.15 बिलियन डॉलर की तुलना में महज 2.67 बिलियन डॉलर रह गया. हालांकि जून में कुछ राहत मिली, जब एफडीआई में साल भर पहले की तुलना में हल्की गिरावट दर्ज की गई. जून 2022 में एफडीआई 3.98 बिलियन डॉलर रहा था, जो इस साल जून में 3.16 बिलियन डॉलर रहा है.</p>
<h3>मार्च तिमाही में भी भारी गिरावट</h3>
<p>अगर फ्रेश इक्विटी इनफ्लो, इनकम रीइन्वेस्टमेंट आदि को भी मिलाकर देखें तो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में टोटल एफडीआई का आंकड़ा 17.56 बिलियन डॉलर रहा है. यह पिछले साल की जून तिमाही के 22.34 बिलियन डॉलर की तुलना में 21.4 फीसदी कम है. इससे पहले मार्च तिमाही के दौरान भी एफडीआई में भारी गिरावट आई थी. जनवरी-मार्च 2023 के दौरान एफडीआई 40 फीसदी से ज्यादा गिरकर 9.28 बिलियन डॉलर रह गया था.</p>
<h3>गिरावट के बाद भी टॉप पर सिंगापुर</h3>
<p>डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से एफडीआई में गिरावट आई है. इस दौरान करीब 3 बिलियन डॉलर के इनफ्लो के साथ सिंगापुर पहले स्थान पर रहा है, जबकि उसके बाद 1.5 बिलियन डॉलर के साथ नीदरलैंड दूसरे स्थान पर रहा है.</p>
<h3>राज्यों में सबसे आगे महाराष्ट्र</h3>
<p>तिमाही के दौरान कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ट्रेडिंग, दूरसंचार, वाहन, फार्मा और रसायन जैसे क्षेत्रों में एफडीआई में कमी आई है, जबकि सेवा, निर्माण गतिविधियों, निर्माण विकास और विकास एवं धातुकर्म उद्योग में एफडीआई बढ़ा है. राज्यों के हिसाब से जून तिमाही में सबसे ज्यादा 4.46 बिलियन डॉलर का एफडीआई महाराष्ट्र में आया है. महाराष्ट्र को पिछले साल की पहली तिमाही में एफडीआई से 5.24 बिलियन डॉलर मिले थे.</p>
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