क्या होती है भूतड़ी अमावस्या ? अप्रैल में कब है ये, जानें सही तारीख और भूतों से क्या है संबंध

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Chaitra amavasya, Bhutadi Amavasya 2024: अप्रैल में दूसरे सप्ताह के पहले दो दिन धर्म-कर्म के नजरिए से बहुत खास हैं. 8 अप्रैल 2024 सोमवार को चैत्र अमावस्या है. 9 अप्रैल 2024 चैत्र नवरात्रि और नवसंवत् 2081 शुरू होगा. चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है. गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या पर पितर धरती पर वंशज के द्वार आते हैं. इस दिन ब्राह्मण भोजन, दान, तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है, उन्हें भोजन प्राप्त होता है.

अमावस्या पर चंद्रमा लुप्त रहता है इसलिए ये काली रात होती है. चैत्र में आने वाली एकमात्र ऐसी अमावस्या है जिसे भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं. क्या इसका भूतों से कोई संबंध है, जानें इसका महत्व, स्नान-दान मुहूर्त.

भूतड़ी अमावस्या 2024 मुहूर्त (Bhutadi Amavasya 2024 Muhurat)

पंचांग के अनुसार चैत्र अमावस्या की शुरुआत 8 अप्रैल 2024, सुबह 03.21 होगी और इसका समापन 8 अप्रैल 2024 को रात 11.50 मिनट पर होगा. इस बार चैत्र अमावस्या पर सोमवार है इसलिए इस दिन सोमवती अमावस्या का संयोग बनेगा.

  • स्नान-दान मुहूर्त – सुबह 04.32 – सुबह 05.18
  • श्राद्ध समय – सुबह 11.58 – दोपहर 12.48

चैत्र अमावस्या को क्यों कहते हैं भूतड़ी अमावस्या (Bhutadi Amavasya Significance)

शास्त्रों के अनुसार चूंकि अमावस्या की रात चन्द्रमा दिखाई नहीं देता है. चंद्रमा मन का कारक है. इस वजह से अमावस्या पर मन अशांत रहता है. चैत्र अमावस्या पर पूरे दिन-रात रजो और तमो गुणी वाले अनिष्ट शक्तियां धरती पर मौजूद रहती हैं. मान्यता है कि नकारात्मक शक्तियां या अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए लोगों के मन पर हावी होती है. उनके शरीर को अपना निशाना बनाती हैं. इन शक्तियों का स्वभाव बेहद उग्र होता है. यही कारण है कि चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहा जाता है.

भूतड़ी अमावस्या पर क्या करें (Bhutadi Amavasya Puja)

  • आत्माओं की उग्रता को शांत करने के लिए भूतड़ी अमावस्या पर नदी स्नान करने का महत्व है. साथ ही  इस दिन जल और दूध से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए. पूजा में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. इससे हर तरह की बाधाएं दूर रहती हैं.
  • चैत्र अमावस्या के दिन देवी-देवताओं और नवग्रहों के साथ अपने पितरों की पूजा यानि श्राद्ध, तर्पण और उनके निमित्त दान आदि करना चाहिए. इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं.
  • बुरी शक्तियां हावी न हो इसके लिए भूतड़ी अमावस्या पर गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. हनुमान चालीसा पाठ भी कर सकते हैं. इसके प्रभाव से नकारात्मक शक्तियां आसपास भी नहीं भटकती.

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