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IAS Govind Jaiswal Success Story: यूपीएससी परीक्षा को क्रैक कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है. इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है. साल में एक बार होने वाली यूपीएससी परीक्षा के लिए हर साल लाखों कैंडिडेट्स अप्लाई करते हैं. लेकिन बेहद ही कम उम्मीदवार इस परीक्षा सफल हो पाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी की कहानी बताएंगे जिन्होंने बचपन से लेकर आईएएस बनने तक बहुत संघर्ष किया.
हम आपको आईएएस अफसर गोविन्द जायसवाल की कहानी बताएंगे. आईएएस अधिकारी गोविन्द जायसवाल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं. जब गोविन्द जायसवाल सातवीं क्लास में पढ़ते थे तभी उनकी मां की मौत हो गई थी.उनके पिता रिक्शा कंपनी के मालिक थे. लेकिन पत्नी के इलाज में उनके ज्यादातर रिक्शा बिक गए.कई बार गोविन्द उनकी तीन बहनें और पिता सूखी रोटी खाकर गुजारा करते थे.
सेप्टिक और घाव के बाद भी चलाया रिक्शा
लेकिन गोविन्द के पिता ने अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी परवरिश दी.गोविंद का पूरा परिवार वाराणसी के अलईपुरा में 10/12 की एक कोठरी में रहता था. उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी. आईएएस अधिकारी गोविंद जायसवाल ने अपनी शुरुआती शिक्षा उस्मानपुरा के सरकारी विद्यालय से की है. फिर उन्होंने हरिश्चंद्र यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. वर्ष 2006 में गोविंद यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली पहुंच गए. उनके पिता सेप्टिक और घाव होने पर भी रिक्शा चलाते थे. अपने गोविंद जायसवाल को रुपये भेजने के लिए पिता कई बार खाना तक नहीं खाते थे और घाव का इलाज भी नहीं करवाते थे.
नहीं की कोचिंग की मदद
दिल्ली जाने के बाद गोविंद ने कोचिंग की मदद नहीं ली वह वहां जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे. वर्ष 2007 में गोविन्द ने पहला प्रयास दिया और उन्होंने 48 वीं रैंक प्राप्त की.
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