मौनी अमावस्या पर पितृ दोष -शनि दोष से मिलेगी मुक्ति, बस कर लें ये 2 काम

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Mauni Amavasya 2024: अमावस्या के दिन पितर आत्मा की तृप्ति के लिए धरती पर आते हैं और परिजनों से तर्पण, श्राद्ध, भोजन की उम्मीद करते हैं. कहते हैं जो अमावस्या पर दान, पितृ पूजन आदि करता है उसे जीवनभर कभी कष्ट नहीं झेलने पड़ते, पूर्वजों के आशीर्वाद से उसका घर फलता फूलता है. इस साल मौनी अमावस्या 9 फरवरी 2024 को है.

इस दिन मौन व्रत कर श्राद्ध कर्म के अलावा पितृ कवच का पाठ करना शुभ फलदायी माना जाता है. अमावस्या के दिन जो लोग पितृदोष से भी परेशान हैं उन्हें भी पितृ कवच का पाठ और शनि की ढैय्या-साढ़ेसाती झेल रहे लोगों को शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. पितर सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं.

पितृ कवच पाठ

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥

शनि कवच स्तोत्र पाठ

अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शनैश्चरो देवता, शीं शक्तिः,

शूं कीलकम्, शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः

नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान्। चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।

श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महंत्। कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।।

कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्। शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।।

ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन:। नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज:।।

नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा। स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज:।।

स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद:। वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता।।

नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा। ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा।।

पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल:। अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन:।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य:।न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज:।।

व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा। कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि:।।

अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे। कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा। जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु:।।

Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या पर इन बातों का रखें ध्यान, जानें क्या करें, क्या न करें

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