त्रेतायुग की तर्ज पर सजेगी अयोध्या, श्रीराम के काल में कैसा था त्रेतायुग, जानें

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Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी हैं. अयोध्या भगवान राम की पावन जन्मस्थली के रूप में हिन्दू धर्मावलम्बियों के आस्था का केंद्र है. यही वजह है कि राम मंदिर की उद्घाटन के लिए अयोध्या नगरी को भव्य रूप दिया जा रहा है.

इसी कड़ी में सामने आई है जानकारी के अनुसार राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नगरी को त्रेतायुग थीम से सजाया जा रहा है. श्रीराम के काल में त्रेतायुग कैसा था, क्या है इसकी खासियत, जानें.

त्रेतायुग थीम पर सज रही श्रीराम की नगरी

श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. अयोध्या की चौक चौराहे से लेकर मठ मंदिर सड़क सबको लाइट से जगमग किया जा रहा है. सड़कों के किनारे लग रहे सूर्य स्तंभ भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाते हैं. महायज्ञ के लिए 1008 कुंड बनाए गए हैं. राम लला की प्रतिष्ठा के दिन दीपों से पूरी अयोध्या रौशन होगी, ये बिल्कुल वैसे ही होगा जब श्रीराम चंद्र 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अपनी नगरी लौटे थे तब उनका स्वागत किया गया था.

राम मंदिर के दरवाजों को सोने से जड़ा जाएगा और इनपर खूबसूरत नक्काशीदार डिजायन की गई है. इन दरवाजों पर वैभव का प्रतीक गज यानी हाथी, सुंदर विष्णु कमल, स्वागत मुद्रा में देवी प्रतिमाएं चित्रित की गई हैं. मंदिर को नागर शैली पर बनाया गया है, जिसमें लोहे और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

त्रेतायुग कैसा था ?

शास्त्रों में चार युग वर्णन है. सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग. जब त्रेतायुग का आरंभ सतयुग की समाप्ति के बाद हुआ, इसे सनातन धर्म का दूसरा युग माना जाता है. त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष का था. त्रेतायुग में धर्म और कर्म का पालन किया जाता था. त्रेतायुग में अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने तीन अवतार लिए थे, वामन अवतार, परशुराम अवतार और श्रीराम अवतार.

त्रेतायुग में श्रीराम अपने भव्य महल में माता सीता और पूरे परिवार संग रहते थे. नए राम मंदिर को भी भव्य रूप दिया जा रहा है. मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर दुर्लभ चित्र उकेरे गए हैं जो रामायण काल और त्रेता युग की झलक दिखाएंगे.

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