कोरोना के मरीजों की होगी जिनोम सिक्वेंसिंग, इससे क्या पता चलता है?

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<p style="text-align: justify;">एक बार फिर कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है. अब नया वैरिएंट Covid 19 JN.1 चिंता बढ़ा रहा है. यह ओमीक्रॉन फैमिली का ही वैरिएंट है और काफी खतरनाक भी बताया जा रहा है. WHO की तरफ से इसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ बताया गया है. भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. &nbsp;ऐसे में आइए जानते हैं कोरोना का नया वैरिएंट कितना खतरनाक है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए… लेकिन कोरोना के नए-नए वेरिएंट को देखते हुए एक बात और भी सोशल मीडिया पर छाई रहती है कि अब कोरोना के वेरिएंट का पता जिनोम सिक्वेंसिंग से भी लगाया जा सकता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अब सवाल यह उठता है कि जिनोम सिक्वेंसिंग क्या है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, जिनोम सिक्वेंसिंग एक तरह का टेस्ट होता है. इस टेस्ट के जरिए आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपको कोरोना हुआ है. साथ ही इस टेस्ट में आपको साफ पता चल जाएगा आपको कौन सा वाला कोरोना हुआ है. इसमें वायरस का पूरा बायोडेटा तैयार किया जाता है. इस वायरस में डीएनए और आरएनए जैसे कई सारे तत्व होते हैं. जिसका जिनोम सिक्वेंसिंग के जरिए टेस्ट किया जाता है. यह वायरस कैसे बना. यह दूसरे वायरस से अलग कैसे है? यह कैसा दिखता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कोविड जेएन.1 के लक्षण</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एक्सपर्ट्स के मुताबिक, JN.1 के ज्यादातर मामले काफी हल्के रहे हैं. बुखार, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, शरीर में दर्द और थकान इसके लक्षण हैं. इसके लक्षण फ्लू जैसे ही हैं. इन लक्षणों के साथ सांस फूलने की समस्या होने पर अलर्ट हो जाना चाहिए. फ्लू के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं. चूंकि कोविड 19 के नए वैरिएंट के लक्षण फ्लू से काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए इससे बचने के लिए कोरोना से जुड़े नियमों का पालन करने के साथ ही कुछ उपाय आजमा सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे किया जाता है जिनोम सिक्वेंसिंग</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जिनोम सिक्वेंसिंग से नए और पुराने वायरस में तुलना की जाती है ताकि इसका सही ढंग से इलाज किया जा सके. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ कोरोना के लिए किया जाता है बल्कि यह सभी संक्रमित और वायरस वाली बीमारी में इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए लैब में खास तैयारी की जाती है. भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग का सबसे पहले राजस्थान में शुरू किया गया था. इसके कई लैब देश में बनाए गए हैं.&nbsp;</p>
<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong><em>Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.</em></strong></div>
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