मुंबई के 152 साल पुराने मशहूर कैफे ने खाने के साथ भेजी दवाई, लोगों ने स्विगी पर निकाला गुस्सा

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Social Media Outrage: मुंबई के रहने वाले एक शख्स को ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने पर निराश होना पड़ा. उसने मुंबई के 152 साल पुराने मशहूर कैफे से खाना ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (Swiggy) के जरिए ऑर्डर किया था. उसे अपने आर्डर के अंदर दवाई भी मिली. इसके बाद उसने इसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दीं. उसने कहा कि मुझे इस क्रिसमस गिफ्ट की उम्मीद नहीं थी. 

स्विगी ने तुरंत इस पोस्ट का जवाब दिया

इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने शेयर किया. साथ ही रोचक कमेंट भी किए. इसके बाद स्विगी ने तुरंत इस पोस्ट का जवाब दिया. उन्होंने लिखा कि हमें आपका संदेश प्राप्त हो गया है. हम इस बारे में जांच कर रहे हैं. कंपनी के प्रतिनिधि ने भी इस पोस्ट पर लिखा कि हम अपने सहयोगी रेस्टोरेंट से बेहतर की उम्मीद करते हैं. हमें थोड़ा समय दीजिए ताकि इस मामले में पूरी जानकारी लगाई जा सके. 

ऑर्डर में दवाई का पैकेट पड़ा हुआ था

मुंबई के रहने वाले शेफ उज्ज्वल पुरी ने मुंबई के मशहूर लियोपोल्ड कैफे से ओएस्टर सॉस चिकन ऑर्डर किया था. जब उन्होंने इस ऑर्डर को खोला तो इसमें दवाई की एक गोली का पैकेट पड़ा हुआ था. इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी को टैग करते हुए पोस्ट किया कि मुझे लियोपोल्ड कोलाबा से सरप्राइज क्रिसमस गिफ्ट मिला है. इसमें आधी पकी हुई दवाई भी दी गई है. 

सोशल मीडिया पर कमेंट्स की बाढ़

इसके बाद सोशल मीडिया पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई. लोगों ने लिखा कि स्विगी आपने आधी पकी हुई दवाई क्यों भेजी. कृपया रेस्टोरेंट से कहिए कि अच्छे से पकाएं. एक अन्य यूजर ने लिखा कि उन्हें पता था कि आपको यह खाना खाने के बाद दवाई की जरूरत पड़ेगी. इसलिए खाना और सेहत का ख्याल रखते हुए उन्होंने दवाई भी साथ भेजी है. स्विगी की टीम हमेशा डिलीवरी के लिए रेडी रहती है. 

स्विगी को दोष न देने की अपील भी की 

हालांकि, कुछ यूजर ने स्विगी को दोष न देने अपील करते हुए लिखा कि मैसेंजर को शूट नहीं किया जाता है. खाना तो रेस्टोरेंट में बनता है. आप क्या चाहते हैं कि स्विगी वाले हर पैकेट को खोलकर उसकी जांच करें. एक अन्य ने लियोपोल्ड कैफे की गिरती क्वालिटी को दोषी ठहराया है. 

1871 में खुला था लियोपोल्ड कैफे

लियोपोल्ड कैफे मुंबई के सबसे पुराने रेस्टोरेंट में से एक है. इसे 1871 में ईरानी लोगों ने खोला था. यह विदेशी टूरिस्ट के बीच बहुत लोकप्रिय है. मुंबई में हुए 26/11 हमले का भी यह साक्षी बना था. आतंकियों ने इस पर भी निशाना साधा था.

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