हिंडनबर्ग-अडानी मामले की सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की गुजारिश

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Hindenburg-Adani Issue: हिंडनबर्ग – अडानी मामले में एक याचिकाकर्ता ने सु्प्रीम कोर्ट से जल्द केस की लिस्टिंग कर उसकी सुनवाई करने की गुजारिश की है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि पहले मामले की सुनवाई 28 अगस्त, 2023 को होने वाली थी लेकिन उसे टाल दिया गया और अब तक मामले की सुनवाई के लिए तारीख मुकरर्र नहीं की गई है.  

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वे रजिस्ट्रार को मामले को देखने को कहेंगे. चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील से मंगलवार 7 नवंबर, 2023 को कोर्ट के समक्ष फिर से मामले की तरफ कोर्ट का ध्यान दिलाने को कहा है और ही उन्होंने भरोसा दिया कि वे मामले को देखेंगे. 

इससे पहले सेबी ने हिंडनबर्ग – अडानी मामले में किए जांच की स्टेटस रिपोर्ट को कोर्ट में जमा करा दिया है. सेबी ने अपने रिपोर्ट में बताया कि 24 मामलों में 22 मामलों की रिपोर्ट फाइनल है जबकि 2 मामलों की जांच रिपोर्ट अंतरिम है. 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को मामले की जांच का आदेश दिया था.  फिर मई महीने में कोर्ट ने सेबी को तीन महीने के भीतर अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में लगाये गए आरोपों की जांच पूरी कर कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट जमा कराने को कहा था.  

हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के मार्केट वैल्यू में 140 बिलियन डॉलर की कमी आ गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने शेयर बाजार के रेग्यूलेटर होने के नाते सेबी से ये पता लगाने को कहा था कि अडानी समूह की ओर से नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया गया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश  ए एम सप्रे की अध्यक्षता में एक कमिटी का भी गठन करने का ऐलान किया था. कमिटी से निवेशकों के हितों की रक्षा करने को रेग्यूलेटरी नियमों को मजबूत बनाने के लिए दो महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था.   

24 जनवरी 2023 को शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर शेयरों के भाव को धोखाधडड़ी कर बढ़ाने का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी किया था. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयर बाजार में लिस्टेड स्टॉक्स 85 फीसदी नीचे जा लुढ़के. इसके चलते निवेशकों को खासा नुकसान हुआ. फिर हिंडनबर्ग के आरोपों के मद्देनजर अडानी समूह के खिलाफ जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी.  

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