सेबी प्रमुख की नई मुसीबत, जिस कंपनी की चल रही थी जांच, उससे कमाई करने का लगा आरोप

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बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच अब एक नए विवाद में फंसती नजर आ रही हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस उनके खिलाफ एक नया मामला लेकर आई है. कांग्रेस का नया आरोप है कि जिस कंपनी के खिलाफ नियामक की जांच चल रही थी, उससे नियामक की प्रमुख को कमाई हो रही थी.

कांग्रेस ने लगाया रेंटल इनकम का आरोप

कांग्रेस के अनुसार, सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कैरोल इन्फो सर्विसेज लिमिटेड नाम की एक कंपनी से करीब 2.17 करोड़ रुपये मिले. ये रुपये उन्हें किराए के रूप में मिले. कैरोल इन्फो सर्विसेज ने अपनी 2022-23 की सालाना रिपोर्ट में बताया है कि वह खोराकीवाला होल्डिंग्स एंड इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की सब्सिडियरी है और Wockhardt हॉस्पिटल्स लिमिटेड एक एसोसिएट कंपनी है.

पिछले साल सेबी ने की Wockhardt की जांच

Wockhardt का नाम इस कारण उल्लेखनीय हो जाता है, क्योंकि उसके खिलाफ पिछले साल इनसाइडर ट्रेडिंग को लेकर सेबी की जांच चल रही थी. मिंट की एक रिपोर्ट में टॉफ्लर के हवाले से बताया गया है कि दवा कंपनी Wockhardt के फाउंडर एवं चेयरमैन हबील खोराकीवाला का नाम खोराकीवाला होल्डिंग्स एंड इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर के रूप में दर्ज है.

10 साल से ज्यादा पुराना है Wockhardt का मामला

दवा कंपनी Wockhardt के खिलाफ हुई जांच से सीधे तौर पर सेबी की मौजूदा चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच का कोई कनेक्शन नहीं निकलता है. Wockhardt का इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला 2013 के एक डिस्क्लोजर से जुड़ा हुआ है. सेबी ने इस मामले में मार्च 2023 में आदेश सुनाया, जिसकी सुनवाई सिंगल एडजुकेटिंग ऑफिसर विजयंत कुमार वर्मा के द्वारा की गई.

पहले से इन विवादों में सेबी चेयरपर्सन

सेबी चीफ के खिलाफ ये मामला ऐसे समय उठा है, जब पहले से ही उनके खिलाफ कई आरोप चल रहे हैं. सबसे पहले उनके ऊपर हिंडनबर्ग रिसर्च के द्वारा अडानी समूह के साथ कमर्शियल रिलेशन रखने का आरोप लगाया गया, जिसका अडानी समूह और सेबी प्रमुख दोनों ने खंडन किया. फिर कांग्रेस ने आईसीआईसीआई बैंक का मसला उठाया, जिसे बैंक ने बयान जारी कर नकार दिया. अब दवा कंपनी वाला मामला उठाया गया है. दूसरी ओर जी ग्रुप के फाउंडर सुभाष चंद्रा भी बुच के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं. वहीं सेबी के लगभग आधे कर्मचारी बुच के ऊपर टॉक्सिक वर्क कल्चर का आरोप लगाते हुए सरकार को चिट्ठी लिख चुके हैं.

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