सिर्फ 800 रुपये में हुई थी इंफोसिस को-फाउंडर की शादी, सुधा मूर्ति ने अब खोले कई राज

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Narayana and Sudha Murthy Wedding: इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति और समाजसेवी सुधा मूर्ति देश के सबसे अमीर कपल्स में से एक हैं, लेकिन वे अपनी सादगी भरी लाइफस्टाइल के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में नारायण और सुधा मूर्ति ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में अपनी शादी से जुड़े कई चौकाने वाले राज खोले हैं. कपल ने बताया कि अपनी शादी में उन्होंने केवल 800 रुपये खर्च किए.

सुधा मूर्ति ने इंटरव्यू के दौरान कहा- मैं एक बड़े ज्वाइंट फैमली से संबंध रखती हूं, जहां केवल परिवार में 75 से 80 सदस्य थे. ऐसे में उनके पिता सुधा मूर्ति की शादी में 200 से 300 रिश्तेदारों को बुलाना चाहते थे, मगर सुधा मूर्ति एक शानदार शादी के बजाय बेहद सादगी से शादी करना चाहती थी.

पिता हुए थे नाखुश

सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति की शादी साल 1978 में हुई थी. दोनों ही ज्यादा धूमधाम के बजाय सादगी से शादी करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने शादी का 800 रुपये का बजट तय किया था, लेकिन इस बात से सुधा मूर्ति के पिता नाखुश थे. उन्होंने कहा कि यह परिवार की पहली बेटी की शादी और वह इसे धूमधाम से करना चाहते हैं, लेकिन आखिरी में दोनों ने सादगी से भरी शादी करने का फैसला किया. कपल ने बेंगलुरु में करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों की मौजूदगी में सात फेरे लिए थे. 

शादी में खर्च हुए केवल 800 रुपये

सुधा मूर्ति ने बताया कि इस शादी में दोनों ने मिलकर कुल 800 रुपये खर्च किए थे, जिसमें 400 रुपये नारायण मूर्ति और 400 रुपये सुधा मूर्ति ने खर्च किए थे. दोनों ने अपनी शादी को बेहद सादा रखा था. नारायण मूर्ति ने सुधा मूर्ति को साड़ी या मंगलसूत्र में से किसी एक को लेने का विकल्प दिया था, तो उन्होंने 300 रुपये में नया मंगलसूत्र खरीदा था. सुधा मूर्ति ने इस इंटरव्यू में कहा कि शादी केवल एक दिन का बंधन नहीं, जीवन भर का साथ होता है. ऐसे में हमें ज्यादा पैसे खर्च करने के बजाय एक दूसरे के साथ पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

नारायण मूर्ति हैं इतने करोड़ के मालिक

इंफोसिस के को फाउंडर नारायण मूर्ति का नाम देश के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में आता है. फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार उनकी नेट वर्थ 4.4  बिलियन डॉलर है. नारायण और सुधा मूर्ति की कुल संपत्ति 37,465 करोड़ के आसपास है. सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं. 

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