श्री राम ने चखें थे शबरी के झूठे बेर, कैसे पहुंचे प्रभु श्री राम शबरी के द्वार, पढ़ें यहां

[ad_1]

Ram Shabri Samwad: रामायण का हर प्रसंग खास है. हर प्रसंग अलग उद्देश्य देता है. प्रभु श्री राम और शबरी का यह प्रसंग आपको एक अलग उद्देश्य के बारे में बताएगा. शबरी प्रभु श्री राम की परम भक्त थीं. शबरी का असली नाम श्रमणा था. शबरी को हमेशा इसी बात के लिए याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने प्रभु श्री राम को अपने झूठे बेर खिलाए थे.

वनवास के दौराम जब रावण सीता माता रका हरण कर उन्हें लंका ले जाता है तो भगवान राम और लक्ष्मण जी सीता माता को ढूंढते हुए दंडकारण्य वन में पहुंते वहां से शबरी माता के आश्रम में पहुंच जाते हैं.

Ram Shabri Samwad: श्री राम ने चखें थे शबरी के झूठे बेर, कैसे पहुंचे प्रभु श्री राम शबरी के द्वार, पढ़ें यहां

अर्थ-  कमल सदृश नेत्र और विशाल भुजाओं वाले, सिर पर जटाओं का मुकुट और हृदय पर वनमाला धारण किए हुए सुंदर, साँवले और गोरे दोनों भाइयों के चरणों में शबरीजी लिपट पड़ीं.

कौन थीं शबरी ?

पौराणिक कथा के अनुसार माता शबरी माता का असली नाम श्रमणा था. ये भील सामुदाय के शबर जाति से संबंध रखती थीं. इसी कारण कालांतर में उनका नाम शबरी हुआ. शबरी के पिता भीलों के मुखिया थे. उन्होंने शबरी का विवाह भील कुमार से तय कर दिया. शादी से पहले  कई भेड़-बकरियों को बलि के लिए लाया गया, जिन्हें देखकर शबरी का मन विचलित हो उठा, क्योंकि उन्हें बेजुबान जानवरों से बेहद लगाव था. निर्दोष जानवरी की हत्या को रोकने के लिए शबरी विवाह से एक दिन पूर्व घर से भागकर जंगल चली गईं और सभी जानवरों को बचा लिया.

शबरी घर से भागकर दंडकारण्य वन में पहुंची और वहां मातंग ऋषि की सेवा करने लगी. भील जाती की होने के कारण शबरी आश्रम में छिपकर सेवा करती थी. एक दिन शबरी की  सेवा भावना देखकर मुनिवर अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने आश्रम में शबरी को शरण दे दी. उन्होंने मातंग ऋषि से ही धर्म और शासत्र का ज्ञान प्राप्त किया. मातंग ऋषि ने ही शबरी को श्रीराम की भक्ति करने को कहा. इसीलिए एक दिन जब ऋषि मातंग को लगा कि उनका अंत समय निकट है तो उन्होंने शबरी से कहा कि वे अपने आश्रम में ही प्रभु श्री राम की प्रतीक्षा करें. वे एक दिन अवश्य ही उनसे मिलने आएंगे और उसके बाद ही तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा. शबरी प्रतिदिन अपनी कुटिया के रास्ते में आने वाले पत्थरों और कांटों को हटाने लगीं, ताकि श्रीराम के आगमन के लिए मार्ग सुलभ हो जाए. रोज ताजे फल और बेर तोड़कर श्रीराम के लिए रखती.

माता सीता की खोज में जब श्रीराम और लक्ष्मण जी शबरी की कुटिया पहुंते तो वह भाव विभोर हो गईं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.

Ram Shabri Samwad: श्री राम ने चखें थे शबरी के झूठे बेर, कैसे पहुंचे प्रभु श्री राम शबरी के द्वार, पढ़ें यहां

अर्थ- उदार श्री रामजी उसे गति देकर शबरीजी के आश्रम में पधारे। शबरीजी ने श्री रामचंद्रजी को घर में आए देखा, तब मुनि मतंगजी के वचनों को याद करके उनका मन प्रसन्न हो गया.

मान्यता है कि शबरी ने श्रीराम को स्वयं चखकर सिर्फ मीठे बेर खिलाये, जिसे भगवान राम ने शबरी की भक्ति को देखकर प्रेम से खाया. शबरी की भक्ति देखकर श्रीराम ने उन्हें मोक्ष प्रदान किया.

Ram Shabri Samwad: श्री राम ने चखें थे शबरी के झूठे बेर, कैसे पहुंचे प्रभु श्री राम शबरी के द्वार, पढ़ें यहां

अर्थ- उन्होंने अत्यंत रसीले और स्वादिष्ट कन्द, मूल और फल लाकर श्री रामजी को दिए। प्रभु ने बार-बार प्रशंसा करके उन्हें प्रेम सहित खाया.

आज भी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है. साल 2024 में  शबरी जयंती की सप्तमी तिथि 2 मार्च, 2024 को सुबह 7:53 बजे से शुरू होकर 3 मार्च, 2024 को सुबह 8:44 बजे समाप्त होगी.शबरी जी का  आश्रम छत्तीसगढ़े के शिवरीनारायण में है.

Ram Kewat Samwad: नदी पार कराने के लिए जब केवट ने भगवान राम के सामने रख दी थी ये शर्त

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *