शिव के मूल स्वरूप को बताया है शिव पुराण, जानिए कौन हैं शिव?

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Shiv Puran Lord Shiva Niti in Hindi: हिंदू धर्म में शिव को आदि स्वरूप देव के रूप में पूजा जाता है. ऋषि वेदव्यास द्वारा रचित शिव महापुराण में भगवान शिव की महिमा और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है.

शिव पुराण शैव मत संप्रदाय से संबंधित पुराण है, जिसमें शिव के कल्याणकारी स्वरूपों, विभिन्न रूपों, अवतारों और ज्योतिर्लिंगों आदि के बारे में बताया गया है. शिव महापुराण के सभी भागों या अध्याय में शिव के स्वरूपों का वर्णन करते हुए शिव के बारे में बताया गया है. इस पुराण के माध्यम से आप जान पाएंगे कि शिव कौन हैं?

कौन हैं शिव?

हरिहर्योः प्रकृतिरेका प्रत्यभेदेन रूपभेदोज्यम्।
एकस्येव नटस्यानेक विधे भेद भेदत।

  • बृहधर्म पुराण के इस श्लोक के अनुसार, हरि और हर में मूलत: कोई अंतर नहीं है. यदि कुछ भेद है तो केवल रूप का. शिव भले ही विभिन्न रूपों में नजर आते हों, लेकिन वास्तव में वह वही हैं जो वह हैं.
  • शिव पुराण में शिव को महेश्वर माया का रचयिता कहा गया है. यानी हर चीज से परे. शिव सर्वज्ञ, प्रकृति के गुणों से सर्वोपरि और परम सर्वोच्च ब्रह्मा हैं. शिव अपनी प्रजा के सरंक्षक, प्रशंसा योग्य और देवताओं के भी देवता यानी देवाधिदेव हैं.
  • शिव पुराण में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य और करूणा की मूर्ति बताया गया है, जो सहज प्रसन्न होने वाले और मनोवांछित फल प्रदान करने वाले हैं.
  • शिव पुराण के अनुसार, शिव सर्वव्यापी, सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान हैं.

शिव पुराण के अध्याय

शिव पुराण के अध्याय, भाग या अंशों की संख्या में अस्पष्टा होने के कारण इसमें तर्क है. एक मत यह है कि शिव पुराण में कुल छह अध्याय हैं जोकि इस प्रकार है- विद्येश्वर,रुद्र, शत्रुद्र, कोटिरुद्र, उमा और कैलाश संहिता हैं.

इसके अलावा अन्य मत में शिव पुराण में कुल सात अध्याय बताए गए हैं. इसमें वायु संहिता को अतिरिक्त अध्याय बताया गया है. वहीं शिव पुराण के अध्याय को लेकर अन्य मत यह भी है कि इसमें कुल आठ अध्याय हैं.

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