शरीर के होते हैं 9 द्वार, मृत्यु के समय किस अंग से निकलती है आत्मा और कौन सा द्वार है शुभ-अशुभ


Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: सभी प्राणियों का प्राण नश्वर है. जिसका जन्म धरती पर हुआ है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है और यह ऐसा सत्य है, जिसे कोई बदल नहीं सकता. गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का ऐसा ग्रंथ है, जो मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थितियों पर ही आधारित है.

गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु अपने वाहन पक्षीराज गरुड़ को विस्तारपूर्वक बतलाते हैं कि, मृत्यु के समय और मृत्यु के बाद व्यक्ति को अपने कर्मों के आधार पर क्या-क्या कष्ट भोगने पड़ते हैं. मृत्यु को लेकर ऐसा कहा गया है कि, मृत्यु के बाद केवल शरीर नष्ट होती है आत्मा नहीं. क्योंकि आत्मा अजर-अमर है. ऐसा श्रीकृष्ण ने भी कहा है.

इसलिए कहा जाता है कि मृत्यु के समय आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो आत्मा शरीर के किस अंग से बाहर निकलती है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, कर्मों के अनुसार व्यक्ति के प्राण भी अलग-अलग अंगों से निकलते हैं. आइये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.

शरीर के होते हैं नौ द्वार

गरुड़ पुराण के अनुसार, शरीर के नौ द्वार होते हैं और मृत्यु के समय आत्मा शरीर के इन्हीं नौ द्वारों में से किसी एक से बाहर निकलती है. ये नौ द्वार होते हैं- दो आखें, दो कान, दो नासिका, मुंह और उत्सर्जन अंग.

कौन सा अंग होता है शुभ-अशुभ

  • माना जाता है कि, मृत्यु के समय जिन व्यक्ति की आत्मा आंखों से बाहर निकलती है, वो लोग जीने की अधिक इच्छा रखते और इन्हें जिसे अपने परिवार से बहुत अधिक लगाव होता है.
  • जो लोग अपना पूरा जीवन सिर्फ धन-दौलत कमाने में लगा देते हैं उनकी आत्मा मृत्यु के समय उत्सर्जन अंग यानी मल और मूत्र के द्वारा से निकलती है. इसे भी शुभ नहीं माना जाता.
  • कुछ लोगों की आत्मा नाक से बाहर निकलती है. इसे बहुत शुभ माना जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, ये लोग जीवन में अपने कर्तव्य को निष्ठा से निभाते हैं.
  • मुख से भी प्राण निकलने को गरुड़ पुराण में शुभ बताया गया है. जो लोग जीवन में धर्म के मार्ग पर चलते हैं, उनके प्राण मुख से निकलते हैं.

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