वर्क फ्रॉम होम से लौट रहे कर्मचारियों पर टूटा मुसीबत का पहाड़, आसमान छूने लगा फ्लैटों का किराया 

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Rent in Metro Cities: कोविड-19 के बाद से आई रिमोट वर्क पॉलिसी के चलते लागू हुए वर्क फ्रॉम होम में कर्मचारी दिल्ली-मुंबई जैसे मेट्रो शहर छोड़कर अपने-अपने घर चले गए थे. इनके जाने से मेट्रो शहरों में फ्लैट और मकानों का किराया धड़ाम से जमीन पर आ गिरा था. मगर, अब कई कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम खत्म कर दिया है और कई जगह हाइब्रिड वर्क पॉलिसी लागू हो चुकी है. इसके चलते एम्प्लॉइज को वापस मेट्रो शहरों का रुख करना पड़ा है. मगर, यहां उनका सामना एक और बड़ी मुसीबत से हो रहा है. बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे आईटी शहरों में मकानों का किराया आसमान छूने लगा है. इससे चलते न सिर्फ घर तलाशने में दिक्कत हो रही है बल्कि लोगों का बजट भी बिगड़ गया है. 

सैलरी में नहीं हुआ इजाफा, पड़ी किराये की मार 

कोविड-19 के बाद कंपनियों ने कई कर्मचारियों को निकाला था. इसके साथ ही वेतन में कटौती की और ना के बराबर सैलरी बढ़ाई है. अब मैनेजमेंट कर्मचारियों को ऑफिस से काम कराना चाहता है. इस मौके का फायदा मकान मालिकों ने भी उठाना शुरू कर दिया है. शहरों में किराये में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है.

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु में यह सबसे ज्यादा है. शहर के प्रमुख इलाकों में दो बेडरूम वाले फ्लैट का किराया लगभग 30 फीसदी तक बढ़कर 30 हजार हो चुका है. कई जगहों पर किराया 45 हजार से भी ऊपर हो गया है. वहीं, 3 बीएचके के लिए लोग 65 से 70 हजार रुपये किराया मांगने लगे हैं. उधर, हैदराबाद में लगभग 25 फीसदी रेंट बढ़ा है. दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों में किराया 9 से 18 फीसद तक बढ़ा है. 

मकान मालिक लगा रहे नई शर्तें 

मकान मालिकों ने किरायेदारों की बढ़ती डिमांड के चलते नई शर्तें भी लगाना शुरू कर दी हैं. इसमें रजिस्ट्रेशन फीस और जानवर रखने पर शुल्क जैसे नियम शामिल हैं. बेंगलुरु और हैदराबाद में आईटी सेक्टर के सबसे ज्यादा कर्मचारी हैं, जो कि फ्लैट में रहना पसंद करते हैं. इन शहरों में किराये पर फ्लैट की उपलब्धता डिमांड के हिसाब से नहीं है. फ्लैट की कीमतों में भी लगभग 10 फीसद का इजाफा हुआ है. बाकी के मेट्रो शहरों में नए घरों की कीमत लगभग 5 फीसद बढ़ी है.

मंदी से जूझ रहा है आईटी सेक्टर  

आईटी इंडस्ट्री इस समय संकट के दौर से गुजर रही है. इसलिए सैलरी में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है. इसके अलावा नौकरियां बदलने की दर भी पिछले वित्तीय वर्ष से आधी हो चुकी है. पिछले साल मिड लेवल इंजीनियर को जहां 15 से 32 लाख तक का पैकेज मिलता था वहीं, अब उन्हें औसतन 10 से 26 लाख रुपये तक ही सैलरी मिल पा रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल तक किराये में मची यह उथल-पुथल शांत हो जाएगी. हालांकि, तब तक कर्मचारियों को किराया संकट का सामना करना पड़ेगा.

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