केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने आज राजस्थान और नई दिल्ली में 27 स्कूलों में औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण का मकसद ये देखना था कि बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल सीबीएसई की तरफ से निर्धारित मानदंडों का कड़ाई से पालन करें. साथ ही ‘डमी स्कूल’ की समस्या से निपटा जाए.
सीबीएसई के अनुसार निरीक्षण 27 टीमों ने किया है. जिनमें सीबीएसई एक अधिकारी और एक सीबीएसई-संबद्ध स्कूल के प्रिंसिपल शामिल थे. बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि निरीक्षणों की योजना बनाई गई थी. जिसके बाद निरीक्षण किया गया. बोर्ड के अनुसार ये तरीका इसलिए अपनाया गया है ताकि स्कूलों के संचालन के दौरान दिशा-निर्देशों का पालन हो.
CBSE issues a press release – Central Board of Secondary Education (CBSE) conducted a series of surprise inspections across 27 schools in Rajasthan and the NCT of Delhi today. These inspections were aimed at ensuring that the schools affiliated with the Board are strictly… pic.twitter.com/86wXKcrsra
— ANI (@ANI) September 3, 2024
आगे भी जारी रहेंगे निरीक्षण
सीबीएसई शिक्षा में उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा है कि बोर्ड आगे भी ऐसे निरीक्षण जारी रखेगा. जिससे बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन और स्टैंडर्ड बने रहें. सीबीएसई ने कहा “सीबीएसई शिक्षा में उच्च मानक बनाए रखने के लिए समर्पित है और सभी संबद्ध स्कूलों से इसके दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की अपेक्षा करता है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा कि निरीक्षण के निष्कर्ष व्यापक होंगे और गैर-अनुपालन के मामलों में उचित कार्रवाई की जाएगी.
छात्र क्यों करते हैं डमी स्कूलों का चयन
इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अनेक छात्र डमी स्कूलों में प्रवेश लेना पसंद करते हैं ताकि वे पूरी तरह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें. वे क्लासों में नहीं जाते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं. कुछ राज्यों के छात्रों के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में उपलब्ध कोटा को ध्यान में रखते हुए भी अभ्यर्थी डमी स्कूलों का चयन करते हैं. उदाहरण के लिए जिन अभ्यर्थियों ने दिल्ली में कक्षा 11 और 12 पूरी की होती है. उन्हें दिल्ली राज्य कोटा के तहत राष्ट्रीय राजधानी के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए प्राथमिकता दी जाती है.
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