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आज से ठीक दो सप्ताह बाद नया बजट पेश होने वाला है. बजट की तैयारियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं और विभिन्न उपायों व राहतों आदि पर जोर-शोर से काम चल रहा है. आगामी 1 फरवरी को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी, तभी साफ हो पाएगा कि किस सेक्टर को क्या मिला, लेकिन उससे पहले कयासों का बाजार गर्म है. बजट से हर किसी को उम्मीदें रहती हैं. अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं.
31 जनवरी से शुरू होगा बजट सेशन
सबसे पहले आपको बता दें कि यह बजट मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हिस्से एक और बजट आने वाला है. यह वित्त मंत्री के रूप में उनका लगातार छठा बजट होगा. चूंकि यह बजट चुनावों से पहले आ रहा है, यह पूर्ण बजट न होकर अंतरिम बजट होगा. संसद के बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से होगी और बजट से पहले आर्थिक समीक्षा पेश की जाएगी.
लगातार रहा है मोदी सरकार का फोकस
खबरों में ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी बजट अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट के लिए शानदार साबित हो सकता है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मोदी सरकार इस बजट में किफायती आवास सेक्टर को बिलियन डॉलर बूस्ट दे सकती है. किफायती आवास सेक्टर लगातार मोदी सरकार के फोकस में रहा है.
बजट में 12 बिलियन डॉलर की उम्मीद
रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस बार के बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर के लिए सरकार पिछले बजट की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा प्रावधान कर सकती है और आवंटन बढ़कर 12 बिलियन डॉलर हो सकता है.
भारत में इतने घरों की है कमी
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही महत्वाकांक्षी योजना ‘हाउसिंग फोर ऑल’ की शुरुआत की थी. इस योजना का लक्ष्य देश में हर किसी को अपना घर मुहैया कराना है. सरकारी आकलन के अनुसार, ग्रामीण भारत में 2 करोड़ से ज्यादा घरों की शॉर्टेज है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 15 लाख से ज्यादा घरों की कमी है. साल 2030 तक यह आंकड़ा डबल होने की आशंका भी है.
इस योजना को मिल सकता है विस्तार
इससे पहले सरकार ने पिछले महीने संसद में बताया था कि पिछले पांच सालों के दौरान केंद्र सरकार व राज्य सरकारों ने किफायती आवास पर अरबों डॉलर खर्च किया है. सरकारी आंकड़े के अनुसार, सरकारों ने सभी को घर मुहैया कराने के लिए बीते 5 सालों में कुल मिलाकर 29 बिलियन डॉलर का खर्च किया है. सरकारी की यह योजना दिसंबर 2024 में समाप्त होने वाली है, लेकिन रॉयटर्स की रिपोर्ट में एक अन्य सरकारी सूत्र के हवाले से कहा गया है कि सरकार लक्ष्य से दूरी को देखते हुए योजना को 3 से 5 साल के लिए आगे बढ़ा सकती है.
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