महंगे होम लोन – प्रॉपर्टी की कीमतों में उछाल का असर अफोर्डेबल हाउसिंग पर, 16% घट गई डिमांड

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Housing Sales At 10 Year High: साल 2023 हाउसिंग सेक्टर में लग्जरी घरों की भले ही जोरदार डिमांड देखने को मिली हो. लेकिन देश के 8 बड़े शहरों में 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों के सेल्स में भारी कमी आई है.  नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले जहां 117,131 हाउसिंग यूनिट्स की सेल्स देखने को मिली थी वो 2023 में घटकर 16 फीसदी की गिरावट के साथ 97,983 यूनिट्स रह गई. नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक साल 2023 के दौरान होम लोन के ब्याज दरों में बढ़ोतरी, प्रॉपर्टी की कीमतों में उछाल और इस सेगमेंट के घर खरीदने वाली कैटगरी पर कोरोना के प्रभाव के चलते 50 लाख से कम के घरों डिमांड में कमी आई है. 

नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक कुल हाउसिंग सेल्स में 50 लाख रुपये से कम के घरों के सेल्स की हिस्सेदारी 2018 में जहां 54 फीसदी थी वो 2023 में घटकर 30 फीसदी रह गई है. बेंगलुरु में सबसे ज्यादा 46 फीसदी अफोर्डेबल सेगमेंट के घरों की डिमांड में कमी आई है. 2022 में जहां इस सेगमेंट के कुल 15,205 हाउसिंग यूनिट्स की सेल्स हुई थी वो 2023 में घटकर 8,141 यूनिट्स रह गई है. दिल्ली एनसीआर में 44 फीसदी डिमांड कम हुई है. 2022 में 13,290 यूनिट्स बिके थे जो 2023 में घटकर 7487 यूनिट्स रह गई है. मुंबई में 2022 में 41,595 अफोर्डेबल सेगमेंट वाले यूनिट्स की सेल्स हुई थी जो 2023 में घटकर 39,093 यूनिट्स रह गई है. 

नाइट फ्रैंक इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में हाउसिंग सेल्स ने 10 सालों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. 2023 में 5 फीसदी के इजाफे के साथ कुल 329097 हाउसिंग यूनिट्स की सेल्स हुई है. जबकि 2023 में 8 प्रमुख शहरों में डेवलपर्स ने कुल 350746 नए हाउसिंग यूनिट्स लॉन्च किए हैं जो कि 2022 के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा है.  नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और एमडी शिशिर बैजल ने कहा, महंगे प्रॉपर्टीज की ओर रुझान की वजह से रेसिडेंशियल मार्केट ने 2023 में भी अच्छी तेजी हासिल की है. उन्होंने कहा कि देश की मजबूत आर्थिक बुनियाद की वजह से खरीदारों का लंबी अवधि के लिए निवेश करने के प्रति भरोसा बढ़ा है.  

रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में सबसे ज्यादा रेसिडेंशियल सेल्स देखने को मिली है और ये 2 फीसदी के उछाल के बढ़कर 86,871 यूनिट्स हो गई है जो 2022 में 85,169 यूनिट्स थी. दिल्ली-एनसीआर में सेल्स 3 फीसदी के इजाफे के साथ 60,002 यूनिट्स रही, जो इससे पिछले साल 58,460 यूनिट्स  थी. 

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