भारत में पिछले 10 सालों में 21 गुना बढ़ी मोबाइल प्रॉडक्शन की वैल्यू

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Mobile Phone Manufacturing in India: पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया में स्मार्टफोन, इंटरनेट और ऑनलाइन काम-काज करने का चलन काफी तेजी से फैला है. इसका असर भारत में भी देखने को मिला है, जिसकी वजह से भारत जैसे दुनिया दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में स्मार्टफोन की मांग काफी तेजी से बढ़ी है. शायद, यही कारण है कि पिछले दस सालों में भारत में मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग मूल्य 21 गुना तक बढ़ गई है.

मोबाइल फोन प्रॉडक्शन में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी

इस इंडस्ट्री की बॉडी आईसीईए (ICEA) यानी इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि भारत में पिछले दस सालों में मोबाइल फोन की मैन्यूफैक्चरिंग वैल्यू 21 गुना बढ़कर 4.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. आईसीईए ने अपने बयान में आगे कहा कि स्थानीय उत्पादन के प्रति वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए सरकार की पीएलआई (PLI) जैसी पॉलिसी ने काफी बड़ा काम किया है, जिसकी वजह से मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग की मूल्य में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. 

इसके अलावाा आईसीईए ने अपने बयान में बताया कि भारत में अब स्मार्टफोन की जितनी कुल मांग है, उसका 97% उत्पादन भारत में ही होता है. इसके अलावा मौजूदा वित्तिय वर्ष यानी 2023-24 के दौरान भारत में होने वाले कुल उत्पादन का 30 प्रतिशत निर्यात किया जाएगा. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत से इस साल निर्यात होने वाले 30 प्रतिशत मोबाइल फोन का कुल मूल्य करीब 1,20,000 करोड़ रुपये हो सकता है, जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा सिर्फ 1,556 करोड़ रुपये था. इसका अर्थ है कि भारत से निर्यात होने वाले मोबाइल फोन की वैल्यू में पिछले दस सालों में करीब 7,500%  की बढ़ोतरी हो सकती है.

केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इस मामले के बारे में एक्स पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि, पिछले दशक से भारत को दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश वाली सफलता की कहानी शानदार है. आईसीईए द्वारा जारी किए गए रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले 10 सालों में मोबाइल फोन प्रॉडक्शन की वैल्यू 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है और भारत में बिकने वाले 97% मोबाइल फोन भारत में ही बने हैं.

 

आईसीईए ने बताया कि 2014-15 में भारत में कुल 18,900 करोड़ रुपये का मोबाइल उत्पादन किया जाता था, जबकि अब 2023-24 में यह आंकड़ा 4,10,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. अर्थात, इस मामले में करीब 2000% की बढ़ोतरी हुई है.

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