पूरे देश में त्योहारों का जश्न चरम पर पहुंच चुका है. दशहरा और नवरात्रि जैसे त्योहारों से शुरू हुआ सिलसिला अब लगातार जारी रहने वाला है. उसके साथ ही त्योहारी सीजन की खरीदारी भी रफ्तार पकड़ रही है. त्योहारी सीजन सेल के शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था को इससे बड़ा बूस्ट मिलने वाला है.
इस तरह बढ़ी बिक्री और पेमेंट
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, त्योहारी सीजन में लोग कार, स्मार्टफोन, टीवी आदि पर खूब खर्च कर रहे हैं. अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर फेस्टिव सेल के पहले सप्ताह में बिक्री साल भर पहले की तुलना में लगभग 20 फीसदी ज्यादा है. इसी तरह अक्टूबर महीने में डिजिटल पेमेंट में रिकॉर्ड तेजी आई है. अक्टूबर महीने के दौरान यूपीआई से डिजिटल पेमेंट साल भर पहले की तुलना में करीब 40 फीसदी ज्यादा रहा है.
इन कारणों से मिल रही मदद
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि ग्राहकों का भरोसा सितंबर महीने में 4 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया था. दूसरी ओर ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी के बाद भी बैंकों में लोन की डिमांड करीब 12 सालों में सबसे ज्यादा है. देश में खुदरा महंगाई में भी कमी आ रही है और साथ ही पारिश्राामिक खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में कमाई में तेजी आई है. ये सारे फैक्टर मिलकर इस साल त्योहारों में डिमांड को तेज कर रहे हैं.
क्रिकेट और वेडिंग सीजन
इस बार त्योहारी सीजन को क्रिकेट वर्ल्ड कप से भी मदद मिल रही है. क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन भारत में हो रहा है. इसके चलते देश के कई शहरों में होटल, रेस्तरां समेत पूरी हॉस्पिटलिटी इंडस्ट्री और ट्रैवल एंड टूरिज्म सेक्टर को मदद मिल रही है. त्योहारी सीजन की ढलान आते ही देश में शादी-विवाह के सीजन की शुरुआत हो जाएगी. खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट की मानें तो इस साल वेडिंग सीजन में सोने के गहनों और कपड़ों-बर्तन आदि पर लोग 50 बिलियन डॉलर खर्च कर सकते हैं.
मंदी के दौर में शानदार ग्रोथ
कुल मिलाकर देखें तो आने वाले महीने दुनिया की सबसे तेज गति से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था यानी भारत के लिए बेहद सकारात्मक दिख रहे हैं. यह विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के अनुमानों से भी जाहिर हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मानें तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2023 में 6.3 फीसदी रहने वाली है. साथ ही आईएमएफ ने इस बात की भी उम्मीद जाहिर की है कि 2024 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.3 फीसदी रह सकती है. ग्रोथ का यह शानदार प्रोजेक्शन ऐसे समय है, जब दुनिया के सामने आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है.
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