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IIM: आज संसद में आईआईएम की प्रबंधन जवाबदेही राष्ट्रपति को सौंपने के प्रावधान पर बिल पारित हुआ. विधेयक के मुताबिक अब प्रमुख बी-स्कूलों के विजिटर राष्ट्रपति होंगे. उनके पास मामलों का ऑडिट करने और निदेशकों को नियुक्त करने या हटाने की शक्ति होगी. भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2023 को राज्यसभा ने भारी बहुमत से मंजूरी दे दी है. इसका लक्ष्य प्रतिष्ठित संस्थानों की शैक्षणिक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए शासन को मजबूत करना है.
राज्यसभा ने 4 अगस्त को इस बिल को मंजूरी दे दी. जब संसद में विधेयक पर बहस हो रही थी, तब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार का आईआईएम की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि कॉलेज के प्रबंधन की जिम्मेदारी डीन को सौंप दी गई है, लेकिन कॉलेज की जिम्मेदारी आईआईएम के पास है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र ने आईआईएम के निर्माण के लिए 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
जनवरी 2018 में लागू हुए IIM अधिनियम ने कुछ शीर्ष बिजनेस स्कूलों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की. प्रत्येक एजेंसी की परिषद में 19 सदस्य होते हैं, जिनमें केंद्र और राज्य सरकारों का एक-एक प्रतिनिधि होता है. न्यासी बोर्ड ने संकाय, पूर्व छात्रों और प्रतिष्ठित लोगों सहित 17 व्यक्तियों को नामांकित किया. इसके अलावा नए निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए एक खोज पैनल नियुक्ति करता है.
राष्ट्रीय महत्व के संस्थान
बता दें बिल में सभी 20 आईआईएम को ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ घोषित करने का भी प्रस्ताव है, साथ ही आईआईएम में निदेशकों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन पैनल में विजिटर के नामांकित व्यक्ति को भी घोषित किया जाएगा. भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 के अनुसार, प्रत्येक आईआईएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में 19 सदस्य होते हैं, जिनमें से दो राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं, जबकि 17 अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों, संकाय और पूर्व छात्रों के बीच नामित होते हैं.
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