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Air Pollution : बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों के मनोबल और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है. वायु प्रदूषण के कारण लोगों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और तनाव जैसी समस्याएं काफी बढ़ गई हैं. कई शोधों से पता चला है कि ज्यादा प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोगों को अवसाद, नींद न आना, सिरदर्द, व्यवहार में बदलाव और मानसिक थकान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. प्रदूषण से मस्तिष्क पर नकारात्मक असर होता है जिससे व्यक्ति का आक्रामक, गुस्सैल और हिंसक व्यवहार बढ़ जाता है.
जानें कैसे नुकसान पहुंचा रहा है प्रदूषण .
वायु प्रदूषण में मौजूद हानिकारक पदार्थ और गैसें हमारे दिमाग तक पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचाती हैं.विशेषकर जो लोग प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहते हैं या काम करते हैं, उनमें अल्जाइमर, डिमेंशिया जैसी भ्रामक/भूलने वाली बीमारियों का खतरा कहीं अधिक होता है. रिसर्च के अनुसार यह साबित हो चुका है कि प्रदूषण मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है और तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार में बाधा डालता है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है और अल्जाइमर जैसी बिमारियां होती हैं.
न्यूरोजेनेरेटिव डिसऑर्डर की समस्या
हवा में मौजूद बहुत छोटे-छोटे कण जिन्हें पीएम 2.5 कहते हैं, हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और दिमाग तक पहुंच जाते हैं.ये कण दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते है. ऐसे में लंबे समय तक इन कणों के संपर्क में रहने से लोगों को भूलने-भटकने और गुस्सा जैसी परेशानी होने लगती है. उनकी याददाश्त कमजोर हो जाती है और वे कुछ बातें याद नहीं रख पाते. इसे न्यूरोजेनेरेटिव डिसऑर्डर कहा जाता है. इससे बचने के लिए प्रदूषण पर कंट्रोल बहुत जरूरी है.
स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है
जब हम प्रदूषित हवा को अंदर सांस के रूप में लेते हैं तो शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है. ये हार्मोन हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं और इसके सामान्य कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं. परिणामस्वरूप हम परेशानी, चिंता और तनाव महसूस करते हैं. साथ ही हमारी याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति में भी कमी आती है.
अकेलेपन का शिकार
बढ़ते प्रदूषण के कारण अब लोग घर से बाहर ज्यादा नहीं निकलते.पहले की तरह दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना-जुलना भी कम हो गया है. लोग पार्क या बाहर टहलने जाने से बचते हैं.इस वजह से लोगों को अकेलेपन महसूस होता है. वे अवसाद और निराशा का शिकार हो सकते हैं. साथ ही लोगों में चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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