प्रदोष व्रत के दिन क्या वाकई में एक लोटा जल से प्रसन्न हो जाते हैं भोलेनाथ?

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Shukra Pradosh Vrat 2024: त्रिदेव में शिव जी को अत्यंत दयालु और जल्द प्रसन्न होने वाला देवता माना जाता है. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हर माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखना बहुत पुण्यफलदायी होता है.

22 मार्च 2024 को फाल्गुन महीने का दूसरा शुक्र प्रदोष व्रत है. मान्यता है कि इस दिन शाम के समय भोलेनाथ पर एक लौटा चढ़ाने के वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. आइए जानते हैं शिव को जल क्यों प्रिय है. शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाना चाहिए.

शिव जी को जल क्यों प्रिय है ?

पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों में समुद्र मंथन किया गया था, तब मंथन के दौरान 14 बहुमूल्य रत्नों निकले थे, इस दौरान हलाहल विष भी निकला था.  हलाहल विष का स्वयं शिव ने पान किया था, ताकि सृष्टि की रक्षा हो सके. इस कारण उनका कंठ नीला पड़ गया और शरीर में जलन बढ़ने लगी.

भोलेनाथ के शरीर के तापमान को कम करने के लिए उन्हें कई तरह के पदार्थ दिए गए. इस दौरान शिव जी पर निरंतर जल भी चढ़ाया गया, तब विष का असर खत्म होने लगा और भोलेनाथ की पीड़ा कम हुई. तबी से शिव जी को जल बहुत प्रिय है. महादेव एक लौटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं

  • शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा करना हो तो सबसे पहले तांबे के लोटे में जल लेकर जलहरी के दाईं ओर चढ़ाएं, जिसे भगवान गणेश जी का स्थान माना गया है.
  • इसके बाद बाईं ओर कार्तिकेय के स्थान पर जल चढ़ाएं.
  • अब जलाधारी के बीचों बीच जल अर्पित करें, ये भोलेनाथ की पुत्री अशोक सुंदरी का स्थान है.
  • अब लिंग के निकट जल चढ़ाएं, यहां पार्वती जी वास करती है. इसके बाद शिवलिंग धीमे-धीमे जल चढ़ाएं.
  • जल कभी खड़े होकर न चढ़ाएं. तेज धारा से जल नहीं चढ़ाना चाहिए.

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र

‘श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः। स्नानीयं जलं समर्पयामि’ 

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