पैक्ड आटा-चावल पर जीएसटी वापस लेने का इरादा नहीं, काउंसिल ने नहीं की है ऐसी कोई सिफारिश

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GST On Food Items: केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है आटा, चावल, जैसी जरुरी खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी वापस लेने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है. सरकार ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की तरफ से ऐसी कोई सिफारिश नहीं की गई है. वित्त राज्यमंत्री पकंज चौधरी ने लोकसभा में पूछे गए सवाल पर लिखित में दिए जवाब ये बातें कही है. 

दरअसल लोकसभा सांसद एंटो एंटनी ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार आटा, चावल, दूध, इत्यादि जैसी जरुरी खाने-पीने की चीजों पर जो जीएसटी लगाया गया है उसे वापस लेने पर विचार कर रही है? उन्होंने सरकार इस बारे में उठाये गए कदम की जानकारी देने को कहा. इस प्रश्न के जवाब में पंकज चौधरी ने कहा कि दाल, चावल, आटा, और अन्य खाने-पीने की चीचें जब खुली में बेची जाती है और साथ ये प्री- पैक्ड नहीं होती और इसपर लेबल नहीं होता तो ये खाने-पीने की जरुरी चीजों पर कोई जीएसटी नहीं लगता है. लेकिन पैकेट और लेबल के साथ जब इन खाने-पीने की चीजों को बेचा जाता है तो इनपर 5 फीसदी का कंसेशनल जीएसटी लगता है. उन्होंने कहा कि फ्रेश दूध और पाश्चराइज्ड दूध पूरी तरह जीएसटी से मुक्त है. 

पंकज चौधरी ने कहा कि जीएसटी रेट्स और छूट जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के आधार पर तय की जाती है जो केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों वाली संवैधानिक संस्था है. उन्होंने कहा कि इन खाने-पीने की चीजों पर से जीएसटी को वापस लेने की काउंसिल ने कोई सिफारिश नहीं है. 

वित्त राज्यमंत्री से सवाल पूछा गया कि क्या इन खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी लगाने के चलते महंगाई बढ़ी है. और क्या इन चीजों पर जीएसटी लगाने के बाद जीएसटी कलेक्शन बढ़ा है? इस प्रश्न के जवाब में पंकज चौघरी ने कहा कि खाने-पीने की चीजों की कीमतें कई कारणों से बढ़ती हैं जिसमें डिमांड-सप्लाई में अंतर, सीजन के असर, सप्लाई चेन दिक्कतें, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल शामिल है. उन्होंने कहा कि सप्लाई में व्यवधान पैदा होने या भारी बारिश के चलते भी कृषि बागवानी वाली फल सब्जियों की कीमतों में उछाल देखने को मिलता है. वित्त राज्यमंत्री ने जीएसटी कलेक्शन बढ़ने पर कहा कि आटा, चावल, दालजैसे चीचें जब खुले में बेची जाती हैं तो इसपर जीएसटी नहीं लगता है. साथ ही दूध पर भी जीएसटी नहीं है.  

दरअसल 18 जुलाई, 2022 को जीएसटी काउंसिल ने डिब्बा बंद या पैक्ड और लेबल वाले आटा, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया था. जिसके चलते ये चीजें महंगी हो गई है. इस फैसले के बाद सरकार की आलोचना भई हुई थी. जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई देश करते हुए कहा कि इन पैक्ड इन खाने पीने की चीजों पर टैक्स का निर्णय जीएसटी काउंसिल की बैठक में सर्वसम्मति से हुआ है जिसमें गैर बीजेपी शाषित राज्य पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश और केरल की भी सहमति थी. 

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