नारायण मूर्ति ने दी इस बच्चे को सलाह, बोले- मैं नहीं चाहता कि आप मेरी तरह बनें

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Infosys: देश को दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) देने वाले नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) का सम्मान पूरी दुनिया में है. इंफोसिस का नेतृत्व अगली पीढ़ी को सौंपने के बाद इन दिनों वह अपने जीवन के अनुभव अलग-अलग मंचों पर लोगों के साथ साझा करते रहते हैं.

ऐसे ही एक कार्यक्रम में नारायण मूर्ति ने एक 12 साल के एक बच्चे को अपनी तरह नहीं बनने की सलाह दी. उन्होंने कहा- मैं नहीं चाहता कि आप मेरी तरह बनें. मैं चाहता हूं कि आप मुझसे भी बेहतर बनें और देश के लिए कुछ बेहतरीन करें. 

किसी के नक्शेकदम पर न चलें, खुद का रास्ता बनाएं 

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस बच्चे ने नारायण मूर्ति से पूछा था कि इंफोसिस के को-फाउंडर के तौर पर आप कैसा महसूस करते हैं. इस पर उन्होंने कहा कि आपको किसी के नक्शेकदम पर चलने की जरूरत नहीं है. आपको अपना खुद का रास्ता बनाना पड़ेगा. आपको अपने काम से एक अंतर पैदा करना होगा. इंडिया लीडर्स वीक (India Leaders Week) कार्यक्रम के दौरान नारायण मूर्ति ने स्टूडेंट्स से बात करते हुए कहा कि मेरे पिता ने मुझे टाइमटेबल के जरिए समय का सही इस्तेमाल सिखाया था. इससे मुझे जीवन की परीक्षाओं के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने में बहुत मदद मिली. आप सभी को अनुशासन का महत्व समझना पड़ेगा. 

फेल होने की जिम्मेदारी लें और सफलता को टीम के साथ बांटें 

नारायण मूर्ति ने पेरिस में हुई एक घटना के बारे में बताते हुए कहा कि युवा इंजीनियर के, तौर पर एक प्रोग्राम की टेस्टिंग करते हुए मैंने दुर्घटनावश पूरी कंप्यूटर सिस्टम मेमोरी को उड़ा दिया था. यह इतनी बड़ी गलती थी कि पूरा प्रोजेक्ट खतरे में पड़ गया था. इसके बाद नारायण मूर्ति के बॉस कॉलिन ने उनका साथ दिया. दोनों ने मिलकर 22 घंटे तक लगातार काम करके सिस्टम को रीस्टोर किया और प्रोजेक्ट बचा लिया था. उन्होंने कहा कि कॉलिन ने मेरी तारीफ की लेकिन, अपने त्याग के बारे में कभी बात नहीं की. उन्होंने मुझे लीडरशिप का एक बड़ा मैसेज दिया. आपको फेल होने की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी और हर सफलता को अपनी टीम के साथ बांटना पड़ेगा.

चीजों को बांटने और लोगों का ख्याल रखने में ही है असली खुशी

नारायण मूर्ति ने अपनी मां के बारे में बात करते हुए कहा कि उनसे मैंने किसी चीज को देने का आनंद लेना सीखा. नेशनल स्कॉलरशिप मिलने के बाद जब मैंने नए कपड़े खरीदे तो मां ने मुझे कहा कि अपने बड़े भाई को दे दो. शुरुआत में मुझे खराब लगा लेकिन, अगले दिन मैंने अपने भाई को कपड़े दे दिए. फिर उन्होंने मुझे सिखाया कि शेयरिंग और केयरिंग में ही असली खुशी है.

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