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<p>देश में 3-4 महीने के त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है. <a title="गणेश चतुर्थी" href="https://www.abplive.com/topic/ganesh-chaturthi-2023" data-type="interlinkingkeywords">गणेश चतुर्थी</a> के साथ ही त्योहारों का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ है, जो दिसंबर के अंत तक जारी रहने वाला है. हालांकि त्योहारी सीजन के जश्न के जोर पकड़ने से पहले ही आम लोगों के लिए एक बुरी खबर सामने आ रही है. आने वाले दिनों में लोगों के लिए रसोई के बजट को संभालना फिर से मुश्किल हो सकता है, क्योंकि हर घर की रसोई में इस्तेमाल होने वाले प्याज के भाव महंगाई के आंसू निकाल सकते हैं.</p>
<h3>पहले से सक्रिय है सरकार</h3>
<p>ऐसा नहीं है कि प्याज की कीमतों में तेजी का ट्रेंड अचानक से सामने आया है. अमूमन हर साल इन महीनों में प्याज के भाव बढ़ने ही लगते हैं. इस साल स्थिति कुछ अलग है, क्योंकि अप्रत्याशित बारिश ने कई प्रमुख उत्पादक इलाकों में प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाया है. यही कारण है कि इस बार प्याज की कीमतें ज्यादा डरा सकती हैं और इस बात को सरकार भी अच्छे से समझ रही है. सरकार पहले से ही इस मामले में सक्रिय है और प्याज की कीमतों को काबू में रखने का हरसंभव प्रयास कर रही है.</p>
<h3>व्यापारियों ने उठाए ये कदम</h3>
<p>हालांकि ताजा मामले में व्यापारियों ने कुछ ऐसा कदम उठा लिया है, जो सरकार के प्रयासों को नाकाफी साबित कर सकता है. महाराष्ट्र का नासिक जिला प्याज के उत्पादन का केंद्र है. स्वाभाविक है कि प्याज की कई थोक मंडियां जिले में हैं और वे इसकी खुदरा कीमतों पर बहुत असर रखती हैं. नासिक जिले की 15 मंडियों (एपीएमसी) से प्याज खरीदने वाले 500 से ज्यादा व्यापारियों ने बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की शुरुआत की है.</p>
<h3>इस तरह से हो सकता है असर</h3>
<p>वे व्यापारी मंडियों में होने वाली प्याज की नीलामियों में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. इससे देश के विभिन्न हिस्सों में प्याज की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है. चूंकि त्योहारी सीजन में प्याज की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है, ऐसे में आपूर्ति के प्रभावित होने से पूरे देश में प्याज की खुदरा कीमतें अनियंत्रित हो सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो साफ तौर पर इससे आम लोगों के लिए त्योहारों का मजा फीका पड़ जाएगा.</p>
<h3>व्यापारियों की तीन मुख्य मांगें</h3>
<p>अब सवाल उठता है कि आखिर व्यापारी हड़ताल क्यों कर रहे हैं? टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्याज के व्यापारी मुख्य तौर पर तीन मांग कर रहे हैं. उनकी पहली मांग है कि सरकारी नाफेड और एनसीसीएफ देश के अन्य हिस्सों में मंडियों को सस्ते में प्याज नहीं बेचे. दूसरी मांग प्याज के निर्यात पर पिछले महीने लगाई गई 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी को वापस लेने की है. इसके साथ-साथ वे मार्केट फीस को 1 रुपये प्रति क्विंटल से घटाकर 50 पैसे करने की मांग कर रहे हैं.</p>
<h3>एजेंसियों के ऊपर व्यापारियों के आरोप</h3>
<p>सरकार ने प्याज की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए एनसीसीएफ और नाफेड को बफर स्टॉक बढ़ाने का निर्देश दिया था. व्यापारियों का कहना है कि दोनों एजेंसियों ने बफर स्टॉक के लिए नासिक की 15 मंडियों से अब तक 3 लाख क्विंटल प्याज की खरीदारी की है. वे अभी इन मंडियों से 2 लाख क्विंटल और प्याज खरीदने की तैयारी में हैं. व्यापारी आरोप लगा रहे हैं कि दोनों एजेंसियां ये प्याज अन्य मंडियों में 1,500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेच रही हैं, जबकि नासिक की थोक मंडियों में खरीदी भाव करीब 2000 रुपये है. इसके ऊपर से ट्रांसपोर्ट व लेबर कॉस्ट. इस तरह एजेंसियां व्यापारियों की तुलना में 1000 रुपये डिस्काउंट पर प्याज बेच रही हैं, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है.</p>
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