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<p>अप्रैल से नए वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत हो जाएगी. उसके साथ ही इनकम टैक्स को लेकर टैक्सपेयर्स की तैयारियां भी शुरू हो जाएंगी. वैसे तो अभी टैक्सपेयर्स के पास चालू वित्त वर्ष के लिए भी टैक्स सेविंग प्लान करने का समय बचा हुआ है, लेकिन एक्सपर्ट हमेशा ये सुझाव देते हैं कि टैक्सपेयर्स को टैक्स सेविंग प्लान करने के लिए अंतिम समय का इंतजार नहीं करना चाहिए. एडवांस में टैक्स प्लान करने से आपको ज्यादा से ज्यादा पैसे बचाने में मदद मिलती है.</p>
<p>हर बार नया वित्त वर्ष शुरू होने के पहले से ही टैक्स सेविंग करने का समय शुरू हो जाता है. आज हम आपको एडवांस में टैक्स सेविंग प्लान करने के कुछ मरीकों के बारे में बता रहे हैं. ये तरीके सैलरीड टैक्सपेयर के लिए बड़े काम के हैं. अगर आप भी सैलरी से कमाई करते हैं तो टैक्स बचाने में आपको इन तरीकों से मदद मिल सकती है.</p>
<p>कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को वित्त वर्ष की शुरुआत में सीटीसी यानी कॉस्ट टू कंपनी में बदलाव करने की इजाजत देती हैं. सीटीसी असल सैलरी न होकर कई चीजों से मिलकर बनती है, जैसे बेसिक पे, एचआरए, स्पेशल अलाउंस, वैरिएबल पे, एम्प्लॉयर ईपीएफ कंट्रीब्यूशन आदि. स्पेशल एलाउंस में आमतौर पर फ्यूल और ट्रैवल रिम्बर्समेंट, एलटीए, फोन बिल रिम्बर्समेंट जैसी चीजें आती हैं. ये चीजें कर्मचारियों को सुविधा के रूप में मिलती हैं, लेकिन ये साथ-साथ टैक्स भी बचाती हैं. इन खर्च को इनकम से घटाने के बाद टैक्स की गणना की जाती है, जिससे टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है और इस तरह से टैक्स की देनदारी भी कम हो जाती है.</p>
<h3>1: हाउस रेंट अलाउंस (HRA)</h3>
<p>अगर आप नौकरी के दौरान किराए पर रहते हैं तो टैक्स छूट ले सकते हैं. एचआरए क्लेम करने की कंडीशन यह है कि आपको नियोक्ता से एचआरए मिलता हो और आप जिस घर में रह रहे हैं, उसका किराया भर रहे हों. छूट का कैलकुलेशन तीन चीजों पर निर्भर करता है… HRA के रूप में मिली वास्तविक रकम, मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी+DA का 50 फीसदी और नॉन-मेट्रो शहर के मामले में बेसिक+DA का 40 फीसदी, किराए की वास्तविक रकम से बेसिक सैलरी +DA का 10 फीसदी घटाने पर आने वाली राशि. इन तीनों में जो कम होगा उस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी.</p>
<h3>2: लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)</h3>
<p>आपके व परिवार के घूमने-फिरने के लिए कंपनी लीव ट्रैवल अलाउंस देती है. यात्रा के लिए प्लेन, ट्रेन या बस की टिकट के लिए जो रकम खर्च की गई है, उस पर टैक्स से छूट मिलती है. यात्रा में हुए दूसरे खर्च इसके दायरे में नहीं आते हैं. चार साल के ब्लॉक में दो बार एलटीए क्लेम कर सकते हैं. विदेश यात्रा पर एलटीए का लाभ नहीं मिलेगा. इसकी अधिकतम रकम यात्रा पर वास्तविक खर्च या नियोक्ता से मिली रकम में जो कम है, वो होगी.</p>
<h3>3: इंटरनेट और फोन बिल</h3>
<p>कोविड के दौरान वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा है, जिससे फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल और खर्च बढ़ गया. इनकम टैक्स का इंटरनेट और फोन बिल जमा करने पर उतनी रकम को इनकम टैक्स से छूट देने की सुविधा देता है. जितने रुपये के बिल भरे गए हैं या सैलरी में जो रकम इस मद में दी गई है, उसमें जो कम है, उस पर टैक्स नहीं लगेगा.</p>
<h3>4: फूड कूपन</h3>
<p>आप ऑफिस में काम के दौरान चाय-पानी और खाने पर जरूर जाते होंगे. कंपनी आपको काम के दौरान या प्री-पेड फूड वाउचर/कूपन के जरिए फूड अलाउंस दे सकती है. इसके तहत, एक वक्त के खाने के लिए 50 रुपये टैक्स-फ्री होते हैं. इस तरह से ऐसे कूपन का इस्तेमाल कर हर महीने 2,200 रुपये यानी सालाना 26,400 रुपये की सैलरी को टैक्स-फ्री बनाया जा सकता है.</p>
<h3>5: फ्यूल व ट्रैवल रिम्बर्समेंट</h3>
<p>अगर आप ऑफिस के काम के लिए टैक्सी या कैब से आते-जाते हैं तो इसे रिम्बर्स कराना टैक्स-फ्री होता है. वहीं, अगर आप अपनी कार या कंपनी से मिली कार का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ईंधन व रख-रखाव के खर्च के लिए मिले भुगतान को टैक्स-फ्री करा सकते हैं.</p>
<h3>6: अखबार व पत्र-पत्रिकाएं</h3>
<p>बड़े-बूढ़े हमें बचपन से अखबार पढ़ने की सलाह देते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अखबार टैक्स भी बचा सकते हैं. किताबें, अखबार और पत्र-पत्रिकाओं को खरीदने के लिए किए गए भुगतान भी टैक्स-फ्री होते हैं, बशर्ते उनका ऑरिजिनल बिल साथ में लगाया गया हो. बिल की रकम या सैलरी में इस मद में निर्धारित राशि में जो कम है, वह टैक्स के दायरे से बाहर रहेगी.</p>
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