नमाज उर्दू या अरबी का शब्द नहीं बल्कि संस्कृत का शब्द है!

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Islam Religion: इस्लाम धर्म को मानने वाले सभी मुसलमान पांच इबादत फर्ज का पालन करते हैं. इन पांच फर्ज में नमाज भी एक फर्ज है. जो पूरे दिन में पांच बार अलग अलग समय पर पढ़ी जाती है. मुसलमान मर्द अक्सर मस्जिदों में जाकर नमाज को अदा करते हैं, जबकि मुसलमान महिलाएं घर पर रहकर. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नमाज उर्दू या अरबी का शब्द नहीं बल्कि संस्कृत का शब्द है. भारत इमाम संगठन के अध्यक्ष इमाम डॉ. इमाम उमर इलियासी के मुताबिक नमाज संस्कृत का शब्द है. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा-

रणवीर अल्लाहबादिया के पॉडकास्ट पर भारत इमाम संगठन के अध्यक्ष डॉ. उमर अहमद इलियासी (Umer Ahmed Ilyasi) गेस्ट बनकर आए थे. जहां उन्होंने इस्लाम धर्म से जुड़े सभी विषयों पर खुलकर बात रखी. डॉ. उमर इलियासी से नमाज को लेकर रणवीर ने कहा कि, नमाज करते वक्त एक मुसलमान के मन या आत्मा में क्या पैगंबर मोहम्मद के ख्याल आते हैं या ऊपर वाले के ख्याल रहते हैं?

रणवीर के इस सवाल पर डॉ. इलियासी ने कहा कि, हम लोग पैगंबर साहब को याद नहीं करते हैं. हम याद करते हैं उस ईश्वर को जो निराकार है. भारत में नमाज शब्द से हर कोई वाकिफ है लेकिन इसका अर्थ किसी को मालूम नहीं है. नमाज एक भारतीय शब्द है. नमाज जो है वो संस्कृत का शब्द है. अगर मैं सऊदी अरब में जाऊंगा और मैं वहां पर कहूँगा ‘मुझे नमाज पढ़नी है, तो उनको नहीं मालूम नमाज क्या होती है’. सऊदी अरब में नमाज को ‘सलाह’ कहते हैं. भारत में इसे नमाज कहते हैं.

उन्होंने आगे नमाज का मतलब बताते हुए कहा कि ‘नमः’ माने झुकना, ‘अज’ माने ईश्वर के आगे झुकना. ईश्वर के आगे झुकना या ईश्वर को याद करना होता है. जो निराकार है जिसको कोई रूप या आकार नहीं है. वो एक नुर है और हम उधर ही ध्यान करते हैं. उसकी ओर ही इबादत करते हैं, यही नमाज है.

अल्लाह ने आपको भेजा है अच्छे काम करने के लिए, आंखे दी अच्छा देखने के लिए दिमाग दिया सोचने समझने के लिए ऐसा ईश्वर ने केवल मनुष्यों को ही दिया है. इंसान को अपनी इंसानियत नहीं छोड़नी चाहिए. डॉ. इमाम ने इस्लाम धर्म को लेकर काफी कुछ बताया जो एक इंसान की इंसानियत को परिभाषित करती है. 

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