देश में पेट्रोल-डीजल, एलपीजी जैसे फ्यूल की मांग में उछाल, रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची बिक्री

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Fuel Demand: देश में ईंधन यानी फ्यूल की मांग रिकॉर्ड लेवल पर आती दिखी है और आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के साथ साथ वाहनों की बिक्री में उछाल इसकी बड़ी वजह हैं. कारों के अलावा टू-व्हीलर्स की सेल बढ़ने से पेट्रोल की खपत और कृषि सेक्टर में काम आने वाले वाहनों की बिक्री बढ़ने से डीजल की मांग रिकॉर्ड लेवल पर आई है. पिछलs पूरा वर्ष देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की जमकर मांग रही और इसका असर दिखा है.

वित्त वर्ष 2023-24 में ईंधनों की मांग रिकॉर्ड स्तर पर आ गई थी. देश में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, बिटुमिन जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की खपत वित्त वर्ष 2023-24 में पांच फीसदी बढ़कर 23 करोड़ 32 लाख 76 हजार टन पर पहुंच गई है. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है.

कारों और 2 व्हीलर्स की बिक्री बढ़ने से पेट्रोल की मांग बढ़ी

बीते वित्त वर्ष के दौरान कारों और दोपहिया वाहनों यानी  2 व्हीलर्स की बिक्री बढ़ने से पेट्रोल की मांग 6.4 फीसदी बढ़ गई है जो कुल ईंधन मांग में पेट्रोल के बढ़ते हिस्से को भी दिखाता है.

वित्त वर्ष 2023-24 में खूब बढ़ी फ्यूल की मांग

देश में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, बिटुमिन जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत वित्त वर्ष 2023-24 में पांच फीसदी बढ़कर 23 करोड़ 32 लाख 76 हजार टन पर पहुंच गई है और आधिकारिक आंकड़ों में यह सामने आया है. वित्त वर्ष 2022-23 में देश में पेट्रोलियम पदार्थों की खपत 22 करोड़ 30 लाख 21 हजार टन रही थी. 

डीजल की बिक्री में करीब 4.5 फीसदी इजाफा

प्रमुख रूप से ट्रकों, बसों और कृषि सेक्टर के जरिए इस्तेमाल किए जाने वाले डीजल की बिक्री में एक साल पहले की तुलना में 2023-24 में 4.4 फीसदी की वृद्धि हुई. ये देश में आर्थिक गतिविधि के ऊंचे स्तर को दिखाता है. 

सड़क बनाने में यूज होने वाले कोलतार की सेल बढ़ी

सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोलतार की बिक्री 9.9 फीसदी बढ़ गई है. सरकार ने अर्थव्यवस्था में विकास को बढ़ावा देने के लिए बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चला रखी हैं. इसके अलावा फर्टिलाइजर बनाने में इस्तेमाल होने वाले नेफ्था की बिक्री में भी पिछले साल के दौरान ऊंची बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

मार्च में हालांकि कम रही पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की खपत

हालांकि मार्च के महीने के लिए पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कुल खपत दो करोड़ 10 लाख 91 हजार टन रही है. ये आंकड़ा पिछले पिछले साल मार्च के दो करोड़ 12 लाख 20 हजार टन से कम का रहा है.

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