तबीयत खराब हो जाए या नौकरी चली जाए, हर जगह काम आता है इमरजेंसी फंड

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सोचिए आप एक नौकरीपेशा इंसान हैं और प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं. एक दिन आप सुबह उठते हैं और आपको एक मेल आता है कि आपकी नौकरी अब नहीं रही. नौकरी ना होने का मतलब, अगले महीने से सैलरी नहीं आएगी. सैलरी नहीं आएगी तो खर्च कैसे मैनेज होंगे, घर कैसे चलेगा?

ये सभी बातें उन लोगों के दिमाग में आएंगी, जिनके पास इमरजेंसी फंड नहीं है. जिनके पास इमरजेंसी फंड है, उन्हें पता है कि आने वाले 6 महीने वह अपने खर्च को मैनेज कर लेंगे और तब तक नई नौकरी की व्यवस्था भी कर लेंगे. इसी तरह से अगर आपकी तबीयत खराब हो जाए या आपके घर में किसी परिजन की तबीयत खराब हो जाए तब भी इमरजेंसी फंड काम आते हैं. चलिए, आज जानते हैं कि इमरजेंसी फंड को कैसे बनाएं.

इमरजेंसी फंड क्या है?

इमरजेंसी फंड एक ऐसी धनराशि है जिसे आप केवल अनपेक्षित और आवश्यक खर्चों के लिए सेफ रखते हैं. इसे आमदनी के रोजाना खर्चों से अलग रखा जाता है, ताकि किसी इमरजेंसी स्थिति में आपकी आर्थिक स्थिति सुरक्षित रहे. यह एक आर्थिक सुरक्षा कुशन की तरह काम करता है, जो आपको कठिन समय में तनाव से बचाने में सहायता करता है.

इमरजेंसी फंड क्यों है जरूरी?

जिंदगी में कभी भी कोई अनपेक्षित खर्च आ सकता है. एक अच्छा इमरजेंसी फंड आपको ऐसी स्थिति में मानसिक शांति देता है. खासतौर से तब, जब आपको तुरंत पैसे की जरूरत होती है. इसे ऐसे समझिए कि अगर आपके पास इमरजेंसी फंड नहीं है, तो अचानक खर्चों के लिए आपको कर्ज लेना पड़ सकता है. यह कर्ज लंबे समय में आपके आर्थिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. इमरजेंसी फंड होने से आप कर्ज के जाल में फंसने से बच सकते हैं.

इसके अलावा ये नौकरी छूटने की स्थिति में भी मदद करता है. आज के समय में नौकरी की सुरक्षा की गारंटी नहीं है. एक अच्छा इमरजेंसी फंड आपको बेरोजगारी की स्थिति में अपने रोजमर्रा के खर्चों को बिना किसी तनाव के पूरा करने में हेल्प कर सकता है. इसके अलावा इमरजेंसी फंड आपको जमीन जायदाद बेचने से बचाता है. यानी जब आपके पास इमरजेंसी फंड होता है, तब किसी आपातकाली स्थिति में आप अपने किसी अन्य निवेश को बिना सोचे-समझे बेचने के लिए मजबूर नहीं होते, बल्कि इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल कर उस समस्या से बाहर आ जाते हैं.

इमरजेंसी फंड कैसे बनाएं?

इमरजेंसी फंड बनाने के लिए सही योजना और अनुशासन की जरूरत होती है. जैसे- हर महीने बचत का एक लक्ष्य तय करें. इसी बचत में से एक हिस्सा इमरजेंसी फंड के लिए अलग से निकालते जाएं. यानी आपको हर महीने जो सैलरी मिल रही है, उसमें से अपने रोजमर्रा के खर्चे के लिए पैसे निकालने के बाद जो सेविंग्स बचें, उसमें से कुछ पैसा इमरजेंसी फंड के लिए निकाल कर अलग रख दें. बचत और इमरजेंसी फंड को एक ना समझें ये दोनों अलग-अलग होना चाहिए. कोशिश करें की आपका इमरजेंसी फंड कम से कम आपके 6 महीने की सैलरी से ज्यादा हो. 

इमरजेंसी फंड को कहां रखें?

इमरजेंसी फंड कहां रखना चाहिए ये एक बड़ा सवाल है. बचत को भविष्य के लिए निवेश करना सही विकल्प है. लेकिन इमरजेंसी फंड के साथ ऐसा नहीं है. इमरजेंसी फंड होता ही इसलिए है कि अगर आपको आधी रात को पैसे की जरूरत पड़ जाए तो आप उसे निकाल सकें. इसलिए, इसे अगर निवेश भी करना चाहते हैं तो ऐसी जगह करें जहां से ये फंड तुरंत प्राप्त किया जा सके. सही मायनों में देखा जाए तो इमरजेंसी फंड का कुछ हिस्सा एसआईपी में निवेश कर देना चाहिए और कुछ हिस्सा एक अलग बैंक अकाउंट में रखना चाहिए. ताकि, मेडिकल इमरजेंसी के वक्त पैसा तुरंत निकाला जा सके.

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