टेलीकॉम बिल में सरकार को अधिकार, पब्लिक सेफ्टी के लिए टेकओवर या सस्पेंड कर सकेगी मोबाइल नेटवर्क

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Telecommunications Bill 2023 Update: केंद्र सरकार ने 138 साल पुराने इंडियन टेलीग्रॉफ एक्ट को बदलने के लिए सोमवार 18 दिसंबर 2023 को लोकसभा में भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2023 (The Telecommunications Bill 2023) को पेश कर दिया है जिसके जरिए देश में टेलीकॉम सेक्टर के नया कानून बनाने का रास्ता साफ हो सकेगा. सरकार का कहा है कि इनमें से कुछ कानून 138 साल पुराने हैं. टेलीकॉम सेक्टर में तेजी के साथ बदल रही टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखते हुए नए कानून की जरूरत है.कैबिनेट से इस विधेयक को अगस्त 2023 में ही मंजूरी मिल गई थी. 

भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2023 के पास होने पर भारत सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में या पब्लिक इंमरजेंसी पर किसी भी टेलीकम्युनिकेशन सर्विस या नेटवर्क चलाने वाली कंपनी को प्रबंधित या निलंबित कर सकती है. दूरसंचार, इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में हंगामे के बीच इस विधेयक को पेश किया. इस विधेयक के जरिये सरकार नया दूरसंचार कानून बनाने का प्रस्ताव लेकर आई है, जो टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की जगह लेगा.  

टेलीकम्युनिकेशन बिल, 2023 के प्रावधानों के मुताबिक, आपदा प्रबंधन या पब्लिक सेफ्टी के हित में किसी भी आपातकाल की घटना पर, केंद्र या राज्य सरकार का कोई भी अधिकृत अधिकारी किसी भी टेलीकम्युनिकेशन सर्विस या टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क पर अस्थायी कब्जा ले सकता है. टेलीकम्यूनिकेशन बिल के तहत सरकार दूरसंचार विधेयक के मसौदे में यूजर्स की सेफ्टी को बढ़ाने के लिए ओवर-द-टॉप (OTT) या इंटरनेट आधारित कॉलिंग एवं मैसेजिंग ऐप्स को दूरसंचार की परिभाषा के तहत लाने का प्रस्ताव है. 

नए टेलीकॉम बिल में टेलीकॉम सेक्टर के रेग्यूलेटर ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के अधिकारों को कम किया गया है. टेलीकॉम ऑपरेटरर्स ने ट्राई के अधिकारों को लेकर कई बार सवाल खड़े किए थे. बिल के प्रावधानों के मुताबिक बिल में कहा गया है कि  केंद्र या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के भारत में प्रकाशित होने वाले मैसेज को तब तक रोका नहीं जाएगा, जब तक कि उनका ट्रांसमिशन राष्ट्रीय सुरक्षा के नियमों के तहत प्रतिबंधित ना हो. साथ ही मैसेज को गैरकानूनी तरीके से इंटरसेप्ट करने पर 3 साल तक की सजा, 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों के प्रावधान को शामिल किया गया है. 

नए बिल के ड्रॉफ्ट प्रावधानों के मुताबिक, सरकार के पास ये अधिकार होगा कि वे उपभोक्ताओं के हितों में एंट्री फीस, लाइसेंस फीस और पेनल्टी को माफ कर सकती है जिससे उपभोक्ताओं को टेलीकॉम सेवा मिलता रहे. साथ ही कंपनियों के लिए परमिट सरेंडर करने पर लाइसेंस के लिए फीस को वापस लेना आसान होगा. हालांकि विपक्ष ने नए टेलीकॉम बिल को ‘मनी बिल’ के रूप में पेश किये जाने का सदन में विरोध किया है. 

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नरेश

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