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How to make effective time table: बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी हो या रिवीजन टाइम-टेबल एक जरूरी भूमिका निभाता है. इससे पढ़ाई ठीक से होती है, कोई जरूरी टॉपिक नहीं छूटता और जीवन में अनुशासन आता है. आप अपने लिए खुद टारगेट बनाते हैं और उन्हें पूरा करने पर कॉन्फिडेंट फील करते हैं. इसलिए टाइम-टेबल बनाने में जो समय लगता है उसे समय की बर्बादी न समझें और पहले पूरी प्लानिंग कर लें, उसके बाद पढ़ाई शुरू करें.
नेट से देख लें फॉरमेट
टाइम-टेबल बनाने के कई तरीके होते हैं, आप चाहें तो नेट से उसका फॉरमेट देखकर जो तरीका आपको पसंद हो वो चुन सकते हैं. इसके साथ ही कई सॉफ्टवेयर भी आते हैं जिनका इस्तेमाल करके आप बढ़िया टाइम-टेबल कम समय में बना सकते हैं. अगर इन तरीकों पर नहीं जाना चाहते तो कॉपी में ही ट्रेडिशनल तरीके से इसे बना लें.
सबसे पहले बचा सिलेबस देखें
शुरुआत में आपको इस काम के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी और इसका पहला स्टेप है खुद को परखना. अभी से एग्जाम तक बचे हुए समय के हिसाब से (पेपर के 15 दिन पहले का समय छोड़ दें) सबसे पहले ये चेक करें कि किस विषय में क्या-क्या बाकी है. कितना तैयार है, कितना तैयार करना है और उसे करने में तकरीबन कितना समय लगेगा. जरूरी विषय कौन से हैं जिन्हें ज्यादा समय देना है, किसमें कम से भी काम चल सकता है.
मल्टीपल सब्जेक्ट्स पढ़ें
एक चीज का ध्यान रखें कि अपने टाइम-टेबल को जरूरत के हिसाब से प्रायॉरिटी तो दें लेकिन कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा विषय एक दिन में पढ़ पाएं. विषय बदलने से मन बदलता है और बोरियत दूर होती है. आपको पढ़ाई करते हुए भी चेंज फील होने लगेगा.
रिएलिस्टिक टाइम-टेबल हो और खुद को ओवर-बर्डन न करें
टाइम-टेबल ऐसा बनाएं जिसे फॉलो कर पाएं यानी ये प्रैक्टिकल होना चाहिए. ऐसे नियम न बना लें कि उन पर चल ही न पाएं. अपनी क्षमता, अपने नेचर और अपनी पढ़ाई के अनुरूप ही इसे बनाएं. दिन के किस समय पढ़ाई करना आपके लिए संभव होगा उस हिसाब से समय बांटें. घर के बाहर के सभी कामों को निकालने के बाद जिस समय आराम से पढ़ पाएं वो चुनें. ऐसा न हो पढ़ने का समय है और आप कोचिंग गए हैं या फ्रेंड्स के साथ बाहर हैं. इसे ऐसा भी न बनाएं कि रूटीन लाइफ इतनी हिल जाए कि प्रेशर महसूस होने लगे.
फ्लेक्सिबल रहें और ब्रेक जरूर लें
टाइम-टेबल बनाते समय अगर आप कुछ समय ऐसा अलग रख देंगे जिसमें जो टास्क पूरा न कर पाए हों उसे पूरा करें तो बेहतर रहेगा. जरूरी नहीं की आप रोज ही टास्क पूरा न कर पाएं लेकिन जिस दिन ऐसा न हो उस समय का इस्तेमाल करके टारगेट कंप्लीट करें और अगर ये समय बच जाए तो इसमें मौज-मस्ती करें. अतिरिक्त समय लेकर चलें यानी फ्लेक्सिबल रहें और पढ़ाई के साथ ही ब्रेक के लिए भी प्रॉपर समय एलॉट करें. रिवीजन से लेकर, नोट्स बनाने और प्रैक्टिस पेपर सॉल्व करने तक हर छोटी-बड़ी जानकारी अपने शेड्यूल में शामिल करें.
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