जन्माष्टमी पर जो लोग आज करेंगे व्रत पारण, जान लें विधि, मुहूर्त और नियम

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Janmashtami 2023 Vrat Parana: आज और कल यानी 6 और 7 सितंबर 2023 को दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी. जन्माष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि के साथ शुरू हो जाता है और कान्हा की पूजा के बाद ही इसका पारण करने का विधान है. शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी व्रत रखने से बाल गोपाल भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं.

ग्रंथों में कहा गया है कि जन्माष्टमी व्रत रखने का जितना महत्व है उतना ही महत्वपूर्ण है इसका व्रत पारण. आइए जानते हैं इस साल जन्माष्टमी व्रत पारण कब करें, शुभ मुहूर्त, विधि और नियम.

जन्माष्टमी 2023 व्रत पारण कब करें ? (Janmashtami 2023 Vrat Parana Date)

जन्माष्टमी का व्रत पारण शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है. जन्माष्टमी पर मान्यता अनुसार लोग व्रत पारण करते हैं. कुछ लोग रात्रि में पूजा के बाद ही व्रत खोलते हैं तो कुछ सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में व्रत पारण करते हैं. वहीं कुछ का मानना है कि जन्माष्टमी व्रत का पारण अष्टमी तिथि के समापन के बाद करना चाहिए. आप अपनी मान्यता अनुसार जन्माष्टमी व्रत का पारण करें. पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी व्रत का पारण 7 सितंबर 2023 को होगा.

जन्माष्टमी 2023 व्रत पारण मुहूर्त (Janmashtami 2023 Vrat Parana Time)

7 सितंबर 2023 रात्रि मुहूर्त – जो लोग 6 सितंबर 2023 को व्रत रख रहे हैं वह रात्रि में कृष्ण जी के बाद व्रत पारण करना चाहते हैं तो 7 सितंबर को प्रात: 12.42 मिनट के बाद ही व्रत खोलें.

7 सितंबर 2023 सुबह का मुहूर्त – 6 सितंबर की रात कान्हा की पूजा के बाद अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 06.02 मिनट के बाद व्रत पारण का शुभ मुहूर्त है. जो लोग सूर्योदय के बाद  व्रत खोलते हैं वह इस समय में पारण करें.

7 सितंबर 2023 दोपहर का मुहूर्त – जो लोग अष्टमी तिथि के समापन के बाद ही जन्माष्टमी व्रत खोलते हैं, वह 7 सितंबर 2023 को शाम 04.14 मिनट के बाद व्रत पारण कर सकते हैं.

जन्माष्टमी व्रत पारण की विधि (Janmashtami Vrat Parana Vidhi)

जन्माष्टमी का व्रत समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है. इस व्रत को खोलते समय सबसे पहले कान्हा को पूजा में चढ़ाया प्रसाद खाएं. माखन, मिश्री, खीरा या पंजीरी ग्रहण करें. उसके बाद सात्विक भोजन करें, जिसमें लहसून, प्याज न डला हो. व्रत खोलने से पहले छोटे बच्चों में प्रसाद जरुर बांटें, इससे कान्हा जी की पूजा पूर्ण मानी जाती है.

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