चावल-दाल के बाद आटे की महंगाई करेगी परेशान, छह महीने के उच्च स्तर पर गेहूं के दाम

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Wheat Price Hike: गेहूं की कीमतों में उछाल थमने का नाम नहीं ले रही है. देश में गेहूं के दाम छह महीने में सबसे उच्च स्तर पर जा पहुंची है. आने वाले त्योहारों के सीजन और मांग में तेजी के चलते गेहूं की कीमतों में ये तेजी आई है.

गेहूं के दामों में इस तेज उछाल  के बाद उम्मीद की जा रही है कि सरकार गेहूं के इंपोर्ट पर ड्यूटी को खत्म कर सकती है जिससे आने वाले दिनों में कई राज्यों में होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गेहूं की कीमतों पर लगाम लगाई जा सके. 

गेहूं की कीमतों में उछाल जारी रही तो इसके चलते आटा से लेकर गेहूं के बनने वाली कई दूसरी चीजें महंगी हो सकती है. बिस्कुट से लेकर ब्रेड समेत कई चीजों के दाम बढ़ सकते हैं. वैसे ही जून महीने में खाद्य महंगाई दर 2.96 फीसदी से बढ़कर 4.49 फीसदी पर जा पहुंची. और गेहूं की कीमतों में ये तेजी जारी रही तो खाद्य महंगाई में और भी उछाल देखने को मिल सकता है. 

रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक एक ट्रेडर्स ने बताया कि गेहूं उत्पादन करने वाली प्रमुख राज्यों में किसानों की ओर से आने वाली सप्लाई ठप्प हो चुकी है. आटा मिल गेहूं के पर्याप्त स्टॉक नहीं खरीद पा रही हैं. मध्य प्रदेश के इंदौर में गेहूं के दामों में 1.5 फीसदी का उछाल आया है और ये 25,446 रुपये प्रति मीट्रिक टन पर जा पहुंची है जो 10 फरवरी 2023 के बाद सबसे अधिक है. पिछले चार महीनों में गेहूं की कीमतों में 18 फीसदी की तेजी आई है.  

एक अगस्त को सरकार के गोदामों में 28.3 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक था जो एक साल पहले 26.6 मिलियन मीट्रिक टन हुआ करता था. ट्रेडर्स का मानना है कि सरकार को अपने स्टॉक से ओपेन मार्केट में गेहूं बेचना चाहिए जिससे त्योहारी सीजन में सप्लाई बनी रहे और कमी को टाला जा सके. 

पिछले हफ्ते ही सरकार ने गेहूं के इंपोर्ट पर लगने वाले 40 फीसदी ड्यूटी को खत्म करने के संकेत दिए थे. जानकारों का मानना है कि कीमतों में कमी के लिए इंपोर्ट बेहद जरुरी है. दरअसल इस वर्ष शानदार गेहूं के उत्पादन के बावजूद सरकार ने चुनावों के देखते हुए एक्सपोर्ट पर लगी रोक को नहीं हटाया.  

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