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गाय और गोमूत्र सनातन धर्म में बहुत ही पवित्र माने गए हैं. गाय में 33 कोटि देवी–देवता समाते हैं. वेदों से लेकर पुराणों तक लगभग कोई भी ग्रंथ उठा लें उसमे गोमाता को आदर दिया गया हैं. पुराने समय में समृद्ध लोग घर में गाय पालते थे और आज के लोग कुत्ता–बिल्ली पालते हैं. विडंबना ये है कि ये लोग गाय का मांस खाने के लिए कोई हिचकिचाहट नहीं करेंगे लेकिन अगर उनके कुत्ते को खरोच भी लग जाए तो वे तिलमिला कर बोलेंगे “Animal life matters” अथवा “मेरा कुत्ता फटके की शोर से कल सुबह तक मार जायेगा”.
हाल ही में एक नया विवाद उत्पन्न हुआ है, चुनाव के उपरांत जिसमे भाजपा ने सभी उत्तरी राज्यों में विधानसभा चुनाव जीत लिया वो भी भारी बहुमत से. जिसपर डीएमके पार्टी के सांसद डी.एन.वी. सेंथिल कुमार एस. ने कहा कि “इस देश के लोगों को यह सोचना चाहिए कि भाजपा की ताकत केवल हिंदी राज्यों में चुनाव जीतना है, जिन्हें हम आम तौर पर ‘गोमूत्र’ राज्य कहते हैं”. इससे साफ पता चलता हैं की उन्हें सनातन धर्म या गाय से कितनी घृणा है. खैर ये तो नास्तिक हैं, इनसे क्या ही बोलना लेकिन कई हिंदू भी इन नास्तिकों से प्रभावित होकर गाय अथवा गोमूत्र से घृणा करने लगते हैं.इसलिए मेरा ये लेख खासकर उन हिंदुओं के लिए है जो इन राजनीतिक पार्टियों से प्रभावित हो जाते हैं.
चलिए गोमूत्र के शास्त्रीय स्वरूप पर दृष्टि डालते हैं-
ज्यादातर प्रमाण वेदों अथवा वेदांत से लिया जाए तो, आप अगर एक आस्तिक हिंदू हैं तो आप वेदों को कभी भी नहीं ठुकरा सकते क्योंकि वह सनातन धर्म की सबसे पुरानी पुस्तक (आरर्कोलॉजी के अनुसार) है. अथर्व वेद में गोमूत्र का लाभ बताया है- जालाषेणाभि षिञ्चत जालाषेणोप सिञ्चत. जालाषमुग्रं भेषजं तेन नो मृड जीवसे। (अथर्व वेद 6.57.2)
अर्थ: “हे परिचय करने वालों ! गोमूत्र के फेन से मिले जल से घाव को धो लो. उसी जल से घाव के आसपास वाले भाग को धोना. गोमूत्र का झाग अत्याधिक प्रभावशाली ओषधि है. इसके द्वारा हमें जीवित रहने के लिए सुखी बनाओ”. वैसे तो आयुर्वेद में गोमूत्र के लाभ प्रमाण के साथ बताए गए हैं लेकिन कई हिंदू ही आयुर्वेद पर विश्वास नहीं करते क्योंकि वे पश्चिमी सभ्यता से ग्रसित हैं, उनको लगता है कि अंग्रेजी बोलने वाले लोग ही सही बोलते हैं.
वेदों और पुराणों में गाय को सबसे श्रेष्ठ माना गया है: –
- ऋग्वेद 1.164.40 में गोमाता को रखने से व्यक्ति सम्पत्तिशील बन जाता है.
- ऋगवेद 6.28.5: गाय हमारे घर आए और हमारा कल्याण करें.
स्कंद पुराण कहता है- त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्। त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।
अर्थ: गो माता! पापों का नाश करने वाली, आप सभी देवताओं की माता है. आप ही यज्ञ का कारण हैं. सभी तीर्थों में आप सबसे पवित्र हैं. माता मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूं.
गाय की उत्पत्ति कैसे हुई?
तैत्रिय उपनिषद् 3.1.6 के अनुसार ब्रह्मा जी ने जड़ सृष्टि की रचना की. इसके बाद उन्होंने जीवात्मा के साथ चेतन ब्रह्मांड बनाने का विचार किया. इसलिए, उन्होंने एक यज्ञ किया जिससे चेतन देवता यानी वायु, आदित्य और अग्नि का जन्म हुआ. फिर तीनों देवताओं ने यज्ञ किया जिससे गाय अस्तित्व में आई. गाय बाद में अग्नि देवता को सौंप दी गई. तभी से गाय को अग्निहोत्रि भी कहा जाता है (गौरवा अग्निहोतरं – तैत्रेयी उपनिषद 3.1.6)
गाय की रक्षा या गाय के मांस खाने वालों पर वेद क्या कहते हैं?
- अथर्व वेद 9.15.5: गाय पर कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए!
- ऋगवेद 1.87.16 में गो मांस खाने वाले को राक्षस कहा गया है और ऐसे राक्षस का वध हो ऐसा भी कहा है.
- अथर्व वेद 3.10.11: हमें यज्ञ करते समय गाय के घी का ही प्रयोग करना चाहिए.
जानते हैं वैज्ञानिक क्या बोलते हैं गोमूत्र के बारे में
आज कल एक विधान बन गया है कि लोग वेदों का प्रमाण नकार देंगे और सिर्फ विज्ञान या अंग्रेजो की बात मानेंगे. खासकर के जो व्यक्ति पश्चिमी सभ्यता से ग्रसित हैं. इसलिए आपतो वैज्ञानिक प्रमाण भी जरूर बताएंगे.
- Indian Veterinary Research Institute के प्रबंधक आर.एस. चौहान के अनुसार छना (Distilled) हुआ गोमूत्र, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसे कैंसर और कोविड 19 भी ठीक होता है.
- गुजरात कोर्ट ने 22 जनवरी 2023 को कहा की “गोमूत्र कई सारे रोगों को ठीक करने में सक्षम हैं”. गाय का विरोध करने वाले हमेशा कानून की दुहाई देते रहते हैं किंतु जब गाय पे बात आती है तब ये फैसला अमान्य होता है.
क्या सिर्फ उत्तर भारत को ही Cow belt कहते हैं?
ये बहुत ही गलत धारणा है कि सिर्फ उत्तर के लोग ही गाय को मानते हैं अगर एसा होता तो विजयनगर साम्राज्य गाय की हत्या या गाय का मांस खाने वालों को कठोर दण्ड नही देता (Source – Abd-ER-Razzak A.H.845, 1442 CE – Ambassador of the Shah of Persia to the Vijayanagar Empire). इससे स्पष्ट हो हैं की गाय दक्षिण भारत के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी उत्तर भारत के लिए.
इससे अब प्रमाणित होता है कि गौमूत्र वैज्ञानिक एवं शास्त्रों के अनुसार कई रोगों के लिए लाभकारी है. आप स्वयं ये सारे वैज्ञानिक और शास्त्रीय प्रमाण का फैक्ट चेक कर लें और सत्य जान लें.
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[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]
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