खफा शेयरधारकों को मनाने में जुटे बायजू रविंद्रन, संकट से बाहर निकलने की कोशिश जारी

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Byju Raveendran: शेयरहोल्डर्स के साथ विवाद में फंसी एडटेक कंपनी बायजू (Byju) के फाउंडर और सीईओ बायजू रविंद्रन (Byju Raveendran) ने खफा हुए शेयर धारकों को मनाने का एक और प्रयास किया है. बायजू रविंद्रन ने शेयरहोल्डर्स (Byju Shareholders) को पत्र लिखकर उनसे कंपनी के राइट्स इश्यू में हिस्सा लेने की गुजारिश की है. बायजू इस समय कैश की कमी से जूझ रही है. वह पिछले महीने कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पाई थी. साथ ही उसने कॉस्ट कटिंग के चलते अपने बेंगलुरु हेडक्वार्टर को छोड़कर सभी ऑफिस बंद कर दिए थे. इसके अलावा कंपनी ने अपने कुछ ट्यूशन सेंटर भी बंद किए थे.

विवादों में है बायजू का मैनेजमेंट 

बायजू रविंद्रन और कंपनी के कुछ बड़े शेयरहोल्डर्स पीक एक्सवी पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक और चान जकरबर्ग की पोर्सस के बीच बायजू के मैनेजमेंट को लेकर विवाद चल रहा है. ईमेल के जरिए भेजे इस पत्र में बायजू रविंद्रन ने कहा है कि हम किसी भी निवेशक को पीछे छोड़ना नहीं चाहते. हमारे कुछ महत्वपूर्ण शेयरहोल्डर्स पहले राइट्स इश्यू में भाग नहीं ले सके थे. कंपनी का बोर्ड चाहता है कि 20 करोड़ डॉलर के राइट्स इश्यू से उनकी शेयरहोल्डिंग कम ना हो. इसके लिए हमें 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिल चुके हैं. उन्होंने कहा कि कुछ निवेशकों ने गैरजरूरी कानूनी कार्रवाई के जरिए हमारा विरोध किया है. इस राइट्स इश्यू को लेकर कई थर्ड पार्टीज ने दिलचस्पी दिखाई है. मगर, हम पहला मौका अपने मौजूदा इनवेस्टर्स को ही देना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि सभी निवेशक हमारी वापसी की यात्रा के हिस्सेदार बनें.

जनवरी में जारी हुआ था राइट्स इश्यू

बायजू ने इसी साल जनवरी में 20 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए राइट्स इश्यू जारी किया था. इस राइट्स इश्यू के लिए कंपनी की वैल्यूएशन लगभग 99 फीसदी कम लगाई गई है. बायजू ने एक समय 22 अरब डॉलर की मार्केट वैल्यू हासिल कर ली थी. यह राइट्स इश्यू पूरी तरह से सब्सक्राइब हो चुका था. एक दिन पहले ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 28 मार्च को निवेशकों की ओर से दायर की गई जनरल मीटिंग पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था. इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने बायजू रविंद्रन को सीईओ के पद से हटाने के ईजीएम फैसले पर लगी रोक बढ़ा दी थी. बायजू का घाटा वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 8,553 करोड़ रुपये हो गया है. यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2022 में 8,240 करोड़ रुपये था.

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