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Festival of Sleep Day 2024: सनातन धर्म में जीवन की प्रत्येक गतिविधि, कर्म, संस्कार, रीति-रिवाज, पूजा-पाठ, दिनचर्या से जुड़े कार्य आदि को लेकर नियम बताए गए हैं. इसी तरह से हिंदू धर्म में नींद से भी सामान्य नियम जुड़े हैं.
ठीक इसी तरह कई तीज-त्योहार भी मनाए जाते हैं. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, सोने का भी एक त्योहार होता है, जिसे फेस्टिवल ऑफ स्लीप डे कहा जाता है. क्रिसमस और न्यू ईयर के बाद 3 जनवरी को हर साल फेस्टिवल ऑफ स्लीप डे मनाया जाता है. यह ऐसा दिन होता है, जो खुद को आराम देने के लिए होता है.
आइये जानते हैं क्यों मनाया जाता है कि फेस्टिवल ऑफ स्लीप डे और क्या है इसका इतिहास. साथ ही इस खास दिन पर जानते हैं शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को कब, कितनी देर और किस दिशा में सोना चाहिए.
फेस्टिवल ऑफ स्लीप डे इतिहास (Festival of Sleep Day 2024 History)
यह त्योहार कब से मनाया जा रहा है, इसकी आधिकारिक तौर पर जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन जिस किसी के भी योगदान या श्रेय से इस दिन को मनाए जाने की शुरुआत हुई होगी, वह निश्चित रूप से सोना पसंद करता होगा. यह त्योहार अच्छी नींद लेने के लिए प्रेरित करता है. संयुक्त राज्य अमेरिका में इस दिन को लोग सोना या आराम करने के रूप में मनाते हैं.
फेस्टिवल ऑफ स्पील डे का महत्व (Festival of Sleep Day 2024 Significance)
हम सभी जानते हैं कि, कई जरूरी दैनिक कार्यों में नींद या निद्रा भी एक है. नींद से ही हमारे विचारों को सतर्क रखने और कार्य के लिए तैयार रखने में मदद मिलती है. साथ ही रात में पर्याप्त नींद से ही अगले दिन शरीर में ऊर्जा बहाल हो पाती है. हालांकि फेस्टिवल ऑफ स्लीप डे का त्योहार मनाने को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं है. यह केवल इस बात को दर्शाती है कि स्वास्थ्य के लिए नींद अनिवार्य है. साथ ही यह ऐसे समय में पड़ता है जब क्रिसमस से लेकर न्यू ईयर सेलिब्रेशन के बीच लोग काम-काज, मौज-मस्ती और घूमने-फिरने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि खुद को आराम नहीं दे पाते.
सोने की दिशा को लेकर क्या कहता है शास्त्र (Sleeping Direction)
उत्तरे पश्चिमे चैव न स्वपेद्धि कदाचन..
स्वप्रादायु: क्षयं याति ब्रह्महा पुरुषो भवेत.
न कुर्वीत तत: स्वप्रं शस्तं च पूर्व दक्षिणम..( पद्म पुराण)
अर्थात- सोने के समय पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर और पश्चिम व उत्तर दिशा की ओर मुख नहीं होना चाहिए. उत्तर और पश्चिम में सिर करके सोने से रोग बढ़ता है और आयु कम होती है.
स्वगेहे प्राक्छिरा: सुप्याच्छ्वशुरे दक्षिणाशिरा:.
प्रत्यक्छिरा: प्रवासे तु नोदक्सुप्यात्कदाचन.. (आचारमयूख )
अर्थात- आप अपने घर पर सोएं तब सिर पूर्व दिशा की ओर रखें. जब आप ससुराल में सोएं तब सिर दक्षिण दिशा की ओर होना रखें और जब आप यात्रा या फिर विदेश में सोएं तब सिर पश्चिम दिशा की ओर रखें.
नींद के लिए मंत्र: फेस्टिवल डे ऑफ स्लीप का त्योहार क्यों, कब और कैसे मनाया जाता है, भले ही आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी उपलब्ध न हो. लेकिन स्वास्थ्य के लिए नींद बेहद जरूरी है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता. इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ पर्याप्त और अच्छी नींद की सलाह देते हैं. लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि, व्यक्ति कुछ समस्याओं के कारण सो नहीं पाता. ऐसे में शास्त्रों में बेहतर नींद के लिए कुछ मंत्र बताए गए हैं, जोकि इस प्रकार हैं-
- वाराणस्यां दक्षिणे तु कुक्कुटो नाम वै द्विज:।
तस्य स्मरणमात्रेण दु:स्वपन: सुखदो भवेत्।। - या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ - अच्युतानन्त गोविन्द नामोच्चारणभेषजात्।
नश्यन्ति सकला: रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।।
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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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