क्रिप्टोकरेंसी पर हैकर्स की निगाहें टेढ़ी, पिछले साल हुई इतने हजार करोड़ की चोरी

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बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच क्रिप्टोकरेंसी दुनिया भर के हैकर्स और साइबर अपराधियों की पहली पसंद बनी हुई हैं. पिछले साल के दौरान दुनिया भर में हजारों करोड़ रुपये की क्रिप्टोकरेंसी की चोरियां की गईं. एक हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.

एक साल पहले की तुलना में आधी हुईं चोरियां

इसी सप्ताह आई चेनालिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में करीब 1.7 बिलियन डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी चोरी की गईं. भारतीय करेंसी में यह वैल्यू 14,130 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो जाती है. हालांकि राहत की एक बात ये है कि साल भर पहले की तुलना में 2023 में क्रिप्टोकरेंसी की चोरियां काफी कम हुई हैं. रिपोर्ट बताती है कि साल भर पहले की तुलना में इसमें 54.3 फीसदी की कमी आई है.

सबसे ज्यादा उत्तर कोरिया का योगदान

वैल्यू के हिसाब से 2023 में चोरियां साल भर पहले की तुलना में करीब आधी हो गई, लेकिन नंबर ऑफ इंसिडेंट के हिसाब से इसमें तेजी आई है. साल 2022 में जहां क्रिप्टोकरेंसी की चोरी के 219 मामले सामने आए थे, 2023 में मामलों की संख्या बढ़कर 231 हो गई. पिछले साल हुई क्रिप्टोकरेंसी की चोरियों में सबसे ज्यादा संलिप्तता उत्तर कोरिया से संबंधित संगठनों की रही. रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में उत्तर कोरिया के संगठन करीब 20 मामलों में शामिल रहे और उन्होंने 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा की चोरियां की.

इसी महीने मिली ईटीएफ को मंजूरी

क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए हैकिंग और चोरी सबसे प्रमुख चुनौतियां रही हैं. यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है, जब क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता बढ़ रही है. क्रिप्टोकरेंसी की संस्थागत स्वीकार्यता के रास्ते में चोरी व हैकिंग सबसे बड़ी बाधाएं रही हैं. अभी हाल ही में अमेरिका में पहली बार बिटकॉइन ईटीएफ को मंजूरी दी गई है. यह क्रिप्टोकरेंसी को मुख्यधारा में स्वीकार किए जाने की राह में बड़ा मील का पत्थर है.

ठीक नहीं रहा है अब तक नया साल

क्रिप्टो इंडस्ट्री के ताजे ट्रेंड को देखें तो स्वीकार्यता बढ़ने के बाद भी नया साल कुछ ठीक साबित नहीं हो रहा है. सबसे प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने 2024 की शुरुआत कई सालों के उच्च स्तर के करीब की थी. साल की शुरुआत में भाव 50 हजार डॉलर के काफी नजदीक पहुंच गया था. हालांकि उसके बाद बिटकॉइन की कीमतों में करीब 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.

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