क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन? यहां जानें इसकी ABCD

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<p style="text-align: justify;">पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक प्रकार का डिप्रेशन है जो बच्चे को जन्म देने के बाद होता है. ये 15 फीसदी महिलाओं को प्रभावित करता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार इस समस्या से पीड़ित लोग भावनात्मक उतार-चढ़ाव, निरंतर रोना, थकान, अपराध बोध और चिंता का अनुभव करते हैं. अपने बच्चे की देखभाल करना उनके लिए मुश्किल हो सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल, दिल्ली के ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. वंदना सोढ़ी ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद लोग मौद्रिक, भावनात्मक, शारीरिक, हार्मोनल और सामाजिक परिवर्तनों का भी सामना करते हैं. इन बदलावों से पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण विकसित हो सकते हैं. दवा और परामर्श से इसका उपचार हो सकता है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>कितने प्रकार का होता है पोस्टपार्टम मूड डिसऑर्डर</strong></h3>
<p style="text-align: justify;"><strong>पोस्टपार्टम ब्लूज या बेबी ब्लूज</strong></p>
<p style="text-align: justify;">प्रसव के बाद 50% से 75% लोगों को बेबी ब्लूज होता है. यह स्थिति आम तौर पर जन्म के एक से चार दिन के बाद पहले सप्ताह में शुरू होती है. लक्षणों में अक्सर मूड में बदलाव, बार-बार रोना, एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन और उदासी शामिल होते हैं. प्रसव के दो से तीन दिनों के भीतर बेबी ब्लूज शुरू होता है और दो सप्ताह तक रह सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पोस्टपार्टम डिप्रेशन</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पोस्टपार्टम डिप्रेशन बेबी ब्लूज से कहीं अधिक गंभीर है. सात में से एक नए माता-पिता इससे प्रभावित होते हैं. इसमें रोना, चिड़चिड़ापन, थकान और अपने बच्चे या खुद की देखभाल करने में असमर्थता का अनुभव हो सकता है. लेकिन लक्षण महीनों तक रह सकते हैं. यही कारण है कि मनोचिकित्सा या अवसादरोधी दवाएं प्रभावी होती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पोस्टपार्टम मनोविकृति</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पोस्टपार्टम डिप्रेशन का एक गंभीर रूप पोस्टपार्टम मनोविकृति है. इसके लिए तत्काल उपचार की जरूरत है. यह स्थिति दुर्लभ है, जो प्रसव के बाद 1,000 में से 1 को प्रभावित करती है. गंभीर उत्तेजना, भ्रम, निराशा और शर्म की भावना, अनिद्रा, भ्रम या मतिभ्रम और अति सक्रियता लक्षण हैं. इससे आत्महत्या और बच्चे को चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए इसका तुरंत उपचार होना चाहिए. इलाज अक्सर अस्पताल, मनोचिकित्सा और दवा से होता है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>क्या हैं लक्षण</strong></h3>
<ul>
<li style="text-align: justify;">दुखी, निराश या दोषी महसूस करना.</li>
<li style="text-align: justify;">अत्यधिक चिंता करना या घबराहट महसूस होना.</li>
<li style="text-align: justify;">शौक या उन चीजों में रुचि कम हो जाना जिनका आप कभी आनंद लेते थे.</li>
<li style="text-align: justify;">भूख में बदलाव या खाना न खाना.</li>
<li style="text-align: justify;">ऊर्जा और प्रेरणा की कमी हो जाना.</li>
<li style="text-align: justify;">सोने में परेशानी होना या हर समय सोने की इच्छा होना.</li>
<li style="text-align: justify;">अकारण या अत्यधिक रोना.</li>
<li style="text-align: justify;">सोचने या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई.</li>
<li style="text-align: justify;">आत्महत्या के विचार.</li>
<li style="text-align: justify;">अपने बच्चे में रुचि की कमी या अपने बच्चे के आसपास चिंतित महसूस करना.</li>
<li style="text-align: justify;">अपने बच्चे को चोट पहुंचाने के विचार या ऐसा महसूस होना कि आप अपने बच्चे को नहीं चाहते.</li>
</ul>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>क्या हैं जोखिम</strong></h3>
<ul>
<li style="text-align: justify;">फैमिली हिस्ट्री</li>
<li style="text-align: justify;">सीमित सामाजिक समर्थन</li>
<li style="text-align: justify;">वैवाहिक जीवन में कलह</li>
<li style="text-align: justify;">गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जटिलताएं</li>
<li style="text-align: justify;">सिंगल पैरंट्स</li>
</ul>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>कैसे करें बचाव</strong></h3>
<ul>
<li style="text-align: justify;">अपने और अपने बच्चे के प्रति अपनी अपेक्षाओं के बारे में यथार्थवादी बनें.</li>
<li style="text-align: justify;">मदद मांगें – दूसरों को बताएं कि वे आपकी कैसे मदद कर सकते हैं.</li>
<li style="text-align: justify;">जब आपका बच्चा सोए तो आप भी सोने की कोशिश करें या आराम करें.</li>
<li style="text-align: justify;">एक्सरसाइज : टहलें और आराम के लिए घर से बाहर निकलें.</li>
<li style="text-align: justify;">अपने परिवार और दोस्तों के साथ संपर्क में रहें – खुद को अलग न करें</li>
<li style="text-align: justify;">कुछ अच्छे दिन और कुछ बुरे दिन के लिए भी तैयार रहें.</li>
</ul>
<div dir="auto"><em><strong>Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.</strong></em></div>
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