केरल में बच्चों को हो रही है मम्प्स की खतरनाक बीमारी? जानें क्या है इसके शुरुआती लक्षण…

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<p style="text-align: justify;">केरल में मम्प्स वायरल इंफेक्शन सामने आने के बाद मरीजों की संख्या अबतक 2,505 तक बढ़ गई है. सिर्फ 2 महीने के अंदर केरल में मम्प्स वायरस इंफेक्श के 11 हजार मामले सामने आए हैं. केरल में बढ़ते मम्प्स इंफेक्शन को लेकर नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने खास दिशा-निर्देश दिए हैं. साथ ही हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस बीमारी को लेकर निगरानी शुरू कर दी है. आइए जानें इसके लक्षण और संक्रमण होने के बाद सबसे पहले क्या करना है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मम्प्स वायरल इंफेक्शन क्या होता है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">ओनली माई हेल्थ के मुताबिक मम्प्स एक तरह का वायरल इंफेक्शन होता है. जिसमें गालों के किनारे में सलाइवा वाले पैरोटिड ग्लैंड को खतरनाक रूप से इफेक्ट करता है. इस इंफेक्शन के कारण गालों में सूजन हो जाती है. और चेहरे की बनावट भी बिगड़ जाती है. मम्प्स इंफेक्शन में गर्दन में भी तेज दर्द होता है. यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है. लेकिन बच्चे इसके चपेट में ज्यादा आते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मम्प्स वायरस के कारण</strong></p>
<p style="text-align: justify;">+यशोदा हॉस्पिटल्स हैदराबाद में लीड कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर एंड पीडियाट्रिक्स डॉ. सुरेश कुमार पानुगांती के अनुसार, यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मम्प्स की बीमारी के लक्षण क्या है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस बीमारी के ल7ण 2-3 सप्ताह में शरीर पर दिखाई देते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">निगलने में कठिनाई होना</p>
<p style="text-align: justify;">मुंह सूखना</p>
<p style="text-align: justify;">जोड़ों में खतरनाक दर्द होना</p>
<p style="text-align: justify;">बुखार</p>
<p style="text-align: justify;">तेज सिरदर्द</p>
<p style="text-align: justify;">मांसपेशियों में दर्द</p>
<p style="text-align: justify;">खाने का मन नहीं करना</p>
<p style="text-align: justify;">हमेशा थकान महसूस होना</p>
<p style="text-align: justify;">चेहरे के किनारे गालों के पास वाले ग्लैंड में सूजन होना</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सलाइवा ग्लैंड में सूजन होना</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ऑर्काइटिस</strong> – वृषण की सूजन जो शायद ही कभी बांझपन का कारण बन सकती है</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एसेप्टिक मेनिनजाइटिस</strong> – मस्तिष्क आवरण की सूजन जिसे मेनिनजाइटिस कहा जाता है</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एन्सेफलाइटिस</strong> – मस्तिष्क का संक्रमण और दौरे के साथ हो सकता है</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मम्प्स की रोकथाम</strong></p>
<p style="text-align: justify;">मम्प्स की रोकथाम का सबसे आसान तरीका का वैक्सीन. &nbsp;एमएमआर (खसरा, कण्ठमाला और रूबेला) टीका आम तौर पर बच्चों को दो खुराक में दिया जाता है. पहला 9 महीने की उम्र में और दूसरा 15 महीने की उम्र में और बूस्टर खुराक 4-6 साल की उम्र में. यह आसानी से उपलब्ध और किफायती है. यह टीका न केवल मम्प्स से ही नहीं बल्कि खसरा और रूबेला से भी बचाता है.</p>
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<div dir="auto"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></div>
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