Pamireddy Pitchi Reddy: मेघा इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड इन दिनों बहुत चर्चा में है. इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सामने आने के बाद मेघा इंजीनियरिंग (Megha Engineering) देशव्यापी चर्चा का विषय बन गई थी. कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. यह फ्यूचर गेमिंग के बाद यह बॉन्ड खरीदने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी थी. शनिवार को मेघा इंजीनियरिंग के खिलाफ सीबीआई ने घूसखोरी का केस दर्ज किया और यह एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई. आज हम इसके मालिक पामीरेड्डी पिचि रेड्डी (Pamireddy Pitchi Reddy) के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं. आइए जानते हैं कि कैसे एक किसान के बेटे ने 67,500 करोड़ का साम्राज्य खड़ा किया और आज डायमंड जैसे घर में रहता है.
डायमंड की तरह बनवा रखा है घर
पीपी रेड्डी का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में एक किसान के घर में हुआ था. वह अपने माता-पिता की 5वीं संतान हैं. उन्होंने मात्र 5 लाख रुपये में हैदराबाद के बालानगर में एक छोटी से जगह से नगर पालिका के लिए पाइप बनाने के लिए मेघा इंजीनियरिंग की शुरुआत की थी. अब इसी हैदराबाद में उनका घर डायमंड के आकार का बना हुआ है. उनके पास अपने फार्म हाउस में एक गोल्फ कोर्स भी है. आज उनकी कंपनी की वैल्यू 67,500 करोड़ और फोर्ब्स द्वारा उनकी खुद की संपत्ति 19,230 करोड़ रुपये आंकी गई थी.
20 राज्यों और कई देशों में कर रही काम
पीपी रेड्डी के भतीजे पीवी कृष्णा रेड्डी ने भी मेघा इंजीनियरिंग ज्वॉइन कर ली थी. इसके बाद दोनों ने मिलकर कंपनी को सड़क निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लेने वाली कंपनी में तब्दील कर दिया. साल 2006 में कंपनी का नाम बदलकर मेघा इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Megha Engineering and Infrastructures Ltd) कर दिया गया. इस सेक्टर में तगड़े कम्पटीशन के बावजूद मेघा इंजीनियरिंग बड़े प्रोजेक्ट्स हासिल करने के कामयाब रही. धीरे-धीरे कंपनी 20 राज्यों और बांग्लादेश और कुवैत में भी हाईवे और पावर प्लांट का काम लेने लगी.
जोजिला टनल जैसे बड़े प्रोजेक्ट भी बनाए
मेघा इंजीनियरिंग ने ही देश की मशहूर जोजिला टनल (Zojila Tunnel) को बनाने का काम किया था. इसके अलावा तेलंगाना का कालेश्वरम लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट और मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्टेशन का निर्माण भी कंपनी कर रही है. सीबीआई के अनुसार, मेघा इंजीनियरिंग ने बिल क्लियर कराने के लिए विभिन्न सरकारी कंपनियों के अधिकारियों को घूस दी थी. ये बिल जगदलपुर इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट से जुड़े काम के थे. इस केस में एनआईएसपी और एनएमडीसी के 8 अधिकारी एवं मेकॉन के 2 अधिकारी भी शामिल हैं. आरोप है कि मेघा इंजीनियरिंग के 174 करोड़ रुपये के बिल को क्लियर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को घूस में करीब 78 लाख रुपये दिए गए.
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